कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धरमैया बड़ी मुश्किल में घिरे हैं। हालांकि वे खुद और कांग्रेस पार्टी दोनों दावा कर रहे हैं कि आरोपों में कोई दम नहीं है लेकिन भाजपा सारे कागजात के साथ सामने आई है और उसका आंदोलन तेज हो सकता है। असल में सिद्धरमैया की पत्नी पार्वतीअम्मा को मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण, मुडा से जमीन मिली है। भाजपा का आरोप है कि गैरकानूनी तरीके से सीएम की पत्नी को जमीन दी गई है। प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष बीवाई विजयेंद्र ने दावा किया है कि उनके पास सेल डीड और रजिस्ट्रेशन के कागजात हैं। साथ ही और भी कई ठोस सबूत हैं, जिनसे जमीन के आवंटन में गड़बड़ी का पता चलता है।
एक सामाजिक कार्यकर्ता ने सिद्धरमैया की पत्नी के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई है और भाजपा का आरोप है कि सीएम की पत्नी सहित अनेक महत्वपूर्ण लोगों को गलत तरीके से जमीन आवंटित की गई है, जिससे सरकार को चार हजार करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है। कुछ दिन पहले मुख्यमंत्री सिद्धरमैया के बेटे यतींद्र को लेकर भी भ्रष्टाचार के आरोप लगे थे। इससे कांग्रेस के अंदर भी चर्चा तेज हो गई है। हालांकि मुश्किल यह है कि जैसे ही कोई चर्चा होती है वैसे ही सिद्धरमैया के समर्थन में अहिंदा यानी कर्नाटक के पिछड़े, दलित, अल्पसंख्यक समूहों के संगठन सक्रिय हो जाते हैं। वे पहले ही किसी तरह की बदलाव की संभावना को रोक देते हैं। लेकिन अगर भ्रष्टाचार के आरोपों पर आंदोलन होता है तो कांग्रेस आलाकमान को भी सोचना होगा। सवाल है कि क्या तब उप मुख्यमंत्री डीके शिवकुमार की लॉटरी खुल सकती है? उनको मुख्यमंत्री बनाया जा सकता है? कर्नाटक में बिसात बिछनी शुरू हो गई है। आंध्र प्रदेश और तेलंगाना कांग्रेस के बड़े नेता भी खेल में शामिल हो सकते हैं।