कर्नाटक कांग्रेस की राजनीति में कमाल हो रहा है। सिद्धारमैया की जगह मुख्यमंत्री पद के सबसे प्रबल दावेदार डीके शिवकुमार इस समय नहीं चाहते हैं कि सिद्धारमैया को मैसुरू शहरी विकास प्राधिकरण यानी मुडा की जमीन में हुए कथित घोटाले के मामले में पद से हटाया जाए। उनको लग रहा है कि अगर भ्रष्टाचार के आरोप में और ईडी की कार्रवाई के नाम पर अगर सिद्धरमैया हटाए गए तो फिर शिवकुमार का नंबर नहीं आ पाएगा क्योंकि उनके खिलाफ भी इसी तरह की जांच चल रही है। सीबीआई और ईडी दोनों की जांच है और कुछ मामलों में अदालतों ने जल्दी जांच पूरी करने को कहा है। तभी शिवकुमार नहीं चाहते हैं कि यह धारणा बने कि जांच होने पर पद से हटाया जाता है।
इसके उलट डीकेएस और कई दूसरे नेता दिल्ली के मुख्यमंत्री रहे अरविंद केजरीवाल की मिसाल दे रहे हैं कि जेल में जाकर भी सीएम बना रहा जा सकता है। इसका एक बड़ा कारण यह है कि डीकेएस को लग रहा है कि अगर सिद्धारमैया हटे तो जी परमेश्वरा के नाम की चर्चा है या जरकिलोही बंधुओं में से एक रमेश जरकिहोली की लॉटरी खुल सकती है। इनमें से कोई भी सीएम बना तो आगे का रास्ता बंद होगा। तभी डीकेएस और उनकी टीम कांग्रेस के कुछ अन्य नेताओं के साथ मिल कर यह धारणा भी बनवा रही है कि सिद्धारमैया सबसे बड़े ओबीसी चेहरे हैं और अगर उनको हटाया गया तो महाराष्ट्र, झारखंड में इसका मैसेज अच्छा नहीं जाएगा। खास कर महाराष्ट्र में, जहां कांग्रेस इस बार ओबीसी वोट की ही राजनीति कर रही है। इसलिए ईडी की जांच शुरू होने के बावजूद सिद्धारमैया के हटने की संभावना नहीं दिख रही है।