यह संभव नहीं लगता है कि अभिनेत्री से नेता बनीं मंडी की सांसद कंगना रनौत अपनी पार्टी यानी भाजपा के शीर्ष नेतृत्व की चेतावनियों की परवाह कर रही हैं। पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने उनको बुला कर समझाया था कि वे नीतिगत मामले पर बयान न दें। जब उन्होंने सिखों को लेकर बयान दिया था पार्टी की किरकिरी हुई थी और उसके बाद ही नड्डा ने उनको चुप रहने को कहा था। लेकिन अब ऐन हरियाणा चुनाव के बीच उन्होंने किसानों का मुद्दा उठा दिया। कंगना रनौत ने कहा है कि केंद्र सरकार ने किसान आंदोलन के दबाव में जो तीन कृषि कानून वापस लिए थे उन्हें देश में लागू करना चाहिए। कंगना ने कहा कि देश के सभी किसानों ने इसका विरोध नहीं किया था। उन्होंने किसानों का आह्वान किया कि वे आगे आएं और इन कानूनों को लागू करने की मांग करें।
इस बयान से पार्टी में हड़कंप मच गया। तत्काल पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता गौरव भाटिया ने इसका खंडन किया। उन्होंने कहा कि कंगना रनौत किसी भी नीतिगत मामले पर पार्टी की राय रखने के लिए अधिकृत नहीं हैं। लेकिन उनके बयान से जो नुकसान होना था वह हो चुका। हरियाणा किसान आंदोलन का केंद्र रहे दो में से एक राज्य है। वहां बृजभूषण शरण सिंह के कामकाज और बयानों से पहलवान पहले से नाराज हैं और अब कंगना के बयान से किसान भी नाराज हुए हैं। ध्यान रहे हरियाणा की राजनीति किसान, जवान और पहलवान के फैक्टर पर ही चलती है। इन तीन में से दो नाराज हो गए हैं। भाजपा को डैमेज कंट्रोल में मुश्किल आ रही है। इस बीच सोशल मीडिया में यह मजाक चल रहा है कि भाजपा सरकार में कंगना की फिल्म ‘इमरजेंसी’ रिलीज नहीं हो पा रही है तो वे उसी का बदला ले रही हैं।