राज्य-शहर ई पेपर व्यूज़- विचार

झारखंड में क्या कोई बड़ी कार्रवाई होगी?

दिल्ली और रांची में राजनीतिक लोगों के बीच चल रही चर्चाओं पर यकीन करें तो राज्य की हेमंत सोरेन सरकार की उलटी गिनती शुरू हो गई है। हालांकि ऐसी उलटी गिनती शुरू होने की पहले भी कई बार खबरें आई हैं लेकिन कुछ नहीं हुआ। पिछले तीन साल से सरकार पर संकट बताया जा रहा है। पिछले साल नवंबर में हेमंत सोरेन ईडी के सामने हाजिर हुए थे और नौ घंटे तक पूछताछ हुई थी। पिछले साल दिवाली के समय ही सदस्यता के मामले में तब के राज्यपाल रमेश बैस कोई बड़ा धमाका करने की बात कर रहे थे। लेकिन वे खुद झारखंड से महाराष्ट्र चले गए और मुख्यमंत्री की विधानसभा सदस्यता पर चुनाव आयोग की रिपोर्ट राजभवन में ही रखी रह गई। इसी तरह आय से अधिक संपत्ति के मामले में मुख्यमंत्री के पूरे परिवार के खिलाफ लोकपाल के आदेश हुई सीबीआई की प्रारंभिक जांच का क्या हुआ वह भी किसी को पता नहीं है। हाई कोर्ट में पीआईएल भी लंबित है। इसलिए सरकार की उलटी गिनती शुरू होने की बात झारखंड के लिए नई नहीं है।

इस बार की चर्चा में कुछ नई बातें हैं। जैसे पहले कहा जा रहा था कि भाजपा एक आदिवासी मुख्यमंत्री पर कार्रवाई का जोखिम नहीं लेगी। लेकिन अब भाजपा ने झारखंड से सटे छत्तीसगढ़ में आदिवासी मुख्यमंत्री बना दिया है और पिछले साल जुलाई में आदिवासी राष्ट्रपति बनाया था। इसके अलावा झारखंड के आदिवासी केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा को कृषि जैसा भारी भरकम मंत्रालय देकर उनका कद बढ़ाया गया है। बाबूलाल मरांडी को प्रदेश अध्यक्ष बना कर भी भाजपा ने अपना आदिवासी कार्ड मजूबत किया है। दूसरी बात यह है कि छत्तीसगढ़ में भाजपा भ्रष्टाचार का मुद्दा बना कर चुनाव जीती है। इसलिए झारखंड में भी उसका भ्रष्टाचार का मुद्दा जोर-शोर से उठा कर कार्रवाई करने का इरादा है।

तभी कार्रवाई की संभावना बढ़ गई है। बताया जा रहा है कि एक साथ सारी कार्रवाई हो सकती है। ईडी गिरफ्तारी का वारंट हासिल करने अदालत जा सकती है और दूसरे मुख्यमंत्री की विधानसभा की सदस्यता समाप्त की जा सकती है। गिरफ्तारी का वारंट जारी होने की स्थिति में उनको इस्तीफा देना पड़ेगा। यहां के बाद दो कहानी है। पहली तो यह जो भगदड़ या अफरा-तफरी मचेगी, उस बहाने राष्ट्रपति शासन लगाया जा सकता है। लेकिन इसकी संभावना अपेक्षाकृत कम है। क्योंकि गिरफ्तारी की स्थिति में पार्टी एक रहेगी। अगर भाजपा कोई राजनीतिक अभियान चलाती और  मुख्यमंत्री की गिरफ्तारी के साथ ही पार्टी के कुछ विधायक छोड़ते तब अलग बात की। लेकिन हकीकत यह है कि राज्य में भाजपा कोई भी राजनीतिक अभियान चलाने में पूरी तरह से विफल रही है। सो, ज्यादा संभावना सीएम और उनके कुछ करीबी लोगों के खिलाफ कार्रवाई की बनती है। हालांकि यह भी संभव है कि लोकसभा चुनाव तक सब कुछ फिर ठंडे बस्ते में चला जाए।

By NI Political Desk

Get insights from the Nayaindia Political Desk, offering in-depth analysis, updates, and breaking news on Indian politics. From government policies to election coverage, we keep you informed on key political developments shaping the nation.

Leave a comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *