चम्पई सोरेन जब हेमंत सोरेन से बागी हुए तो उनके सामने जीतन राम मांझी की मिसाल थी, जो अभी केंद्र सरकार में मंत्री हैं और उनके बेटे बिहार सरकार में मंत्री हैं। उनको लगा कि वे भी ऐसा कुछ हासिल कर सकते हैं। उनके करीबियों ने मीडिया में यह बात फैलाई कि चम्पई सोरेन को राज्यसभा की सीट मिल सकती है और वे केंद्र में मंत्री बन सकते हैं क्योंकि झारखंड से भाजपा का कोई आदिवासी मंत्री नहीं है। अर्जुन मुंडा के चुनाव हारने से आदिवासी मंत्री का पद खाली है। यह भी कहा गया कि उनको भाजपा की केंद्र सरकार कहीं का राज्यपाल बना सकती है। लेकिन असल में भाजपा की योजना में कभी ऐसा कुछ नहीं था। भाजपा को चम्पई सोरेन का इस्तेमाल दूसरे रूप में करना है।
जानकार सूत्रों के मुताबिक भाजपा ने पहले से तय किया था कि उनसे अलग पार्टी बनवाई जाएगी। अब चम्पई जो नई पार्टी बनाने की बात कर रहे हैं वह असल में भाजपा की योजना का हिस्सा है। गौरतलब है कि चम्पई सोरेन, जिस कोल्हान के नेता हैं वह इलाके उग्र राजनीतिक विचारों के लिए जाना जाता है। अलग झारखंड राज्य के आंदोलन के समय भी यह इलाका बहुत जाग्रत था और कई बड़ी घटनाएं इस इलाके में हुई थीं। तभी माना जा रहा है कि चम्पई कुछ क्रांतिकारी किस्म के नाम वाली पार्टी के साथ अलग उतरेंगे तो हेमंत सोरेन की पार्टी के वोट काट लेंगे।