Jharkhand politics: भारतीय जनता पार्टी का जितना मजाक पिछले पांच साल में झारखंड में बना है उतना देश के दूसरे किसी और राज्य में नहीं बना होगा। इसके बावजूद भाजपा के नेता बाज नहीं आ रहे हैं। राज्य में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए सह प्रभारी बनाए गए असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा ने कहा है कि कांग्रेस के 12 से 14 और झारखंड मुक्ति मोर्चा के एक दो विधायक भाजपा के संपर्क में हैं। (Jharkhand politics)
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झारखंड के संदर्भ में भाजपा नेता का बयान
झारखंड के संदर्भ में यह किसी भी भाजपा नेता की ओर से दिया जाने वाला सबसे खोखला और हास्यास्पद बयान है। भाजपा के सैकड़ों नेता, हजारों बार यह लाइन दोहरा चुके हैं। लेकिन हकीकत यह है कि कांग्रेस और जेएमएम के विधायक भाजपा के संपर्क में ही रहे कभी भाजपा के साथ गए नहीं, जबकि भाजपा ने कोई कसर नहीं उठा रखी थी दोनों पार्टियों को तोड़ने में। दिसंबर 2019 में झारखंड में जेएमएम, कांग्रेस और राजद गठबंधन की सरकार बनने के तुरंत बाद से भाजपा ने सरकार को गिराने का प्रयास किया जा रहा है। महाराष्ट्र से लेकर असम तक के अनेक नेताओं ने इसके प्रयास किए लेकिन कामयाब नहीं हुए।
तभी सवाल है कि अभी जब विधानसभा चुनाव की उलटी गिनती चल रही है और आठ अक्टूबर को हरियाणा व जम्मू कश्मीर के चुनाव नतीजे आने के तुरंत बाद झारखंड में विधानसभा चुनाव की घोषणा हो जाएगी, तब हिमंत बिस्व सरमा ने यह बयान क्यों दिया कि कांग्रेस के 12 से 14 और जेएमएम के एक दो विधायक भाजपा के संपर्क में हैं? अगर दोनों पार्टियों के विधायक भाजपा के संपर्क में हैं तो क्या भाजपा उनको तोड़ कर राज्य की हेमंत सोरेन सरकार गिराने जा रही है? (Jharkhand politics)
सरकार गिरा कर भाजपा को क्या हासिल होगा?
चुनाव की घोषणा से एक महीने पहले सरकार गिरा कर भाजपा को क्या हासिल होगा? क्या वह राष्ट्रपति शासन लगा कर और सारे प्रशासन को अपने नियंत्रण में लेकर चुनाव लड़ना चाहती है? इससे प्रशासनिक ताकत तो मिल जाएगी लेकिन राजनीतिक तौर पर बड़ा नुकसान हो सकता है। जेल से छूटने के बाद हेमंत सोरेन के प्रति सहानुभूति कम हो गई है। अगर सरकार गिरी तो फिर सहानुभूति उनके साथ हो जाएगी।
दूसरा सवाल यह है कि अगर सरकार गिराने का इरादा नहीं है तो कांग्रेस और जेएमएम के विधायकों का भाजपा क्या करेगी? क्या भाजपा उनको टिकट देगी? अभी तो सबने देखा कि जम्मू कश्मीर और हरियाणा में भाजपा ने दूसरी पार्टियों से नेताओं को लाकर भर्ती किया और टिकट दी तो कैसा विरोध हुआ! दर्जनों पुराने नेता बागी हो गए और निर्दलीय चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया।
भाजपा को हराने के संकल्प का ऐलान
जिस नेता को जहां जगह मिली वहां से टिकट लेकर भाजपा को हराने के संकल्प का ऐलान किया। भाजपा ने इससे कुछ तो सबक लिया होगा! झारखंड की जमीनी स्थिति ऐसी है कि वह कांग्रेस के एक दर्जन या उससे ज्यादा विधायकों को अपनी पार्टी की टिकट नहीं दे सकती है। लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की गीता कोड़ा और जेएमएम की सीता सोरेन को भाजपा ने टिकट दी थी और दोनों बुरी तरह चुनाव हारे। (Jharkhand politics)
तभी यह बड़ी पहेली है कि सरमा ने कांग्रेस और जेएमएम के विधायकों के संपर्क में होने की बात क्यों कही? कहीं ऐसा तो नहीं है कि भाजपा का जो भी नेता प्रभारी वगैरह बन कर झारखंड जाएगा उसके लिए ऐसा कहना अनिवार्य किया गया है?