ऐसा लग रहा है कि झारखंड में लोकसभा चुनाव के बीच ही विधानसभा चुनाव के लिए भी नैरेटिव सेट किया जाने लगा है। गौरतलब है कि झारखंड में इसी साल विधानसभा का चुनाव होना है। जानकार सूत्रों का कहना है कि उसमें बांग्लादेशी घुसपैठियों का मुद्दा सबसे अहम होने वाला है। इस नैरेटिव को केंद्रीय एजेंसियों की कार्रवाई और उसके बाद मीडिया में छपने वाली खबरों के दम पर मजबूत किया जा रहा है। गौरतलब है कि प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी ने राज्य सरकार के मंत्री और कांग्रेस के दिग्गज नेता आलमगीर आलम को गिरफ्तार किया है। इसके बाद दो और मंत्रियों, बादल पत्रलेख और हफीजुल हसन को भी नोटिस भी दिया गया है। आलमगीर और हफीजुल दोनों संथालपरगना इलाके से आते हैं।
आलमगीर आलम पाकुड़ से और हफीजुल हसन मधुपुर से विधायक हैं। पिछले कुछ दिनों से भाजपा यह माहौल बना रही है कि संथालपरगना में साहेबगंज और पाकुड़ का इलाका पूरी तरह से बांग्लादेशी घुसैपैठियों से भर रहा है। उसी में आलमगीर आलम का नाम किसी न किसी तरह से शामिल किया जा रहा है। बताया जा रहा है कि आलमगीर के रिश्तेदार बांग्लादेश में हैं और उन्होंने बहुत पैसा वहां निवेश किया है। गौरतलब है कि आलमगीर आलम के निजी सचिव के एक कर्मचारी के घर से 37 करोड़ रुपए की नकदी बरामद हुई है। इस पूरे मामले को बांग्लादेशी घुसपैठियों से जोड़ कर विधानसभा चुनाव में उसका नैरेटिव बनाया जा सकता है। संथालपरगना में बांग्लादेशी घुसपैठियों का और छोटानागपुर में मिशनरी द्वारा धर्म परिवर्तन का मुद्दा इस बार विधानसभा चुनाव में प्रमुखता से उठाए जाने की संभावना है।