CM Hemant soren ने मंत्रिमंडल की सभी सीटें भर दी हैं। पिछले 10 साल में ऐसा पहली बार हुआ है कि झारखंड सरकार में मुख्यमंत्री सहित 12 मंत्री हो गए हैं। भाजपा के मुख्यमंत्री रघुवर दास ने 2014 से 2019 तक एक मंत्री पद खाली रखा तो पिछले कार्यकाल में हेमंत सोरेन ने भी 2019 से 2024 तक एक पद खाली रखा। उस एक मंत्री पद के जरिए कई विधायकों के लिए गाजर लटका कर रखा जाता था। ज्यादातर राज्यों में सरकारें इस सिद्धांत पर काम करती हैं।
अगर सरकार को बहुमत को लेकर किसी तरह के अंदेशा रहता है तब तो निश्चित रूप से सीटें खाली रखी जाती हैं। परंतु CM Hemant soren ने सभी सीटें भर दी हैं इसका मतलब है कि इस बार वे पिछली बार के मुकाबले ज्यादा आत्मविश्वास में हैं।
Also Read: सीरिया का तानाशाह भागा
यह आत्मविश्वास उन्होंने शुक्रवार को अपनी पूर्ण कैबिनेट की पहली बैठक में दिखाया। हेमंत ने अपने मंत्रियों के लिए 17 सूत्री प्रस्ताव सामने रखा और कहा कि मंत्रियों को इस पर अमल करना होगा। इसमें सबसे खास यह है कि हेमंत ने मंत्रियों से कहा कि वे अपने आप्त सचिव यानी पीए या दूसरे निजी कर्मचारियों की नियुक्ति करने से पहले उनके बारे में जानकारी हासिल करें, उनकी बैकग्राउंड चेक कराएं और उसके बाद मुख्यमंत्री की सहमति से उन्हें नियुक्त करें।
यह बिल्कुल केंद्र के पीएमओ जैसा सिस्टम बनाने का प्रयास है। इसी तरह उन्होंने मंत्रियों से कहा कि वित्त, विधि, कार्मिक, वन, पर्यावरण आदि की मंजूरी के बगैर संचिका कैबिनेट में नहीं भेजें। इसमें वित्त छोड़ कर बाकी सारे मंत्रालय मुख्यमंत्री के पास ही हैं। इसका मतलब है कि सारे विभागों की संचिका पहले मुख्यमंत्री कार्यालय जाएगी और उसके बाद ही कैबिनेट में रखी जाएगी। इसका मतलब है कि हेमंत सोरेन पूरी सरकार अकेले चलाना चाहते हैं।