झारखंड मुक्ति मोर्चा के प्रमुख और मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने मंगलवार, तीन अगस्त को दिल्ली में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और राहुल गांधी से मुलाकात की। वे नई दिल्ली के गोल मार्केट में बने नए झारखंड भवन के उद्घाटन कार्यक्रम में हिस्सा लेने के लिए दिल्ली में थे। उस कार्यक्रम में जेएमएम, कांग्रेस और राजद तीनों के नेताओं की मौजूदगी थी, जिससे यह संदेश गया कि गठबंधन के अंदर कोई समस्या नहीं है। परंतु तीनों पार्टियों के नेता मान रहे हैं कि सैद्धांतिक रूप से साथ होने के बावजूद सीट बंटवारे में समस्या आएगी। इसका कारण यह है कि सरकार चला रही झारखंड मुक्ति मोर्चा यानी जेएमएम को ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ना है। जेएमएम के नेता चाहते हैं कि कांग्रेस और राजद को कुछ सीटें कम मिलें।
इसका कारण लोकसभा चुनाव के नतीजे हैं। अलग झारखंड राज्य बनने के बाद पहली बार ऐसा हुआ कि लोकसभा चुनाव में जेएमएम को कांग्रेस से ज्यादा सीटें मिलीं। पिछली बार यानी 2019 में कांग्रेस और जेएमएम दोनों ने एक एक सीट जीती थी। इस बार कांग्रेस सात सीटों पर लड़ कर दो सीट जीती, जबकि जेएमएम पांच सीट लड़ कर तीन सीट जीत गई। दूसरी बात यह है कि लोकसभा चुनाव में सीपीआई माले के साथ भी गठबंधन था और उसके बगोदर के विधायक विनोद सिंह कोडरमा सीट से चुनाव लड़े थे। उनको चार लाख से ज्यादा वोट मिला और गठबंधन की पार्टियों का मानना है कि विधानसभा चुनाव में भी सीपीआई माले के साथ साथ सीपीएम और सीपीआई से भी तालमेल होना चाहिए। पिछली बार यानी 2019 के विधानसभा चुनाव में यह तालमेल नहीं था।
पिछले विधानसभा चुनाव में जेएमएम 41 सीटों पर लड़ी थी। कांग्रेस को 31 और लालू प्रसाद की पार्टी राष्ट्रीय जनता दल को सात सीट मिली थी। इनमें राजद का प्रदर्शन सबसे खराब रहा। उसने सात में से सिर्फ एक सीट जीती। तभी जेएमएम और कांग्रेस दोनों का मानना है कि राजद को ज्यादा सीट देने से नुकसान होता है। लेकिन राजद प्रमुख लालू प्रसाद और तेजस्वी यादव दोनों पहले से ज्यादा सीट की मांग करते हुए चुनाव की तैयारी कर रहे हैं। उनका कहना है कि राजद का विस्तार पूरे प्रदेश में है। पिछली बार भी राजद ने चतरा से लेकर गोड्डा, देवघर और कोडरमा तक चुनाव लड़ा। यानी वह किसी एक क्षेत्र की पार्टी नहीं है और उसके यादव वोट बैंक का विस्तार पूरे प्रदेश में है।
पिछली बार जेएमएम ने 41 में से 30 सीटों पर जीत हासिल की थी और लोकसभा में पांच से में तीन सीट पर। सो, उसके नेता मान रहे हैं कि अगर वह ज्यादा सीट लड़े यानी 50 सीट लड़ जाए तो वह अकेले 40 सीटों पर जीत सकती है। तभी कांग्रेस और जेएमएम की सीटों में कमी करने के लिए दबाव बनाया जा रहा है। कांग्रेस के नए प्रदेश अध्यक्ष केशव महतो कमलेश और प्रभारी गुलाम अहमद मीर में जेएमएम से डट कर बात करने की हिम्मत नहीं है। अगर विपक्षी गठबंधन को एकजुट होकर लड़ना है तो कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व को पहल करके जेएमएम, राजद और लेफ्ट के नेताओं से बात करनी होगी।