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राजद की नहीं लेफ्ट की ज्यादा जरुरत

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झारखंड में भाजपा ने तालमेल की घोषणा करने के बाद अपनी लगभग सभी टिकटों की भी घोषणा कर दी है लेकिन दूसरी ओर विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ के अंदर सीटों के बंटवारे पर ही कलह चल रही है। जेएमएम और कांग्रेस ने साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस करके ऐलान कर दिया कि राज्य की 81 में से 70 सीटों पर उनके उम्मीदवार लड़ेंगे और बाकी 11 सीटें राजद और लेफ्ट मोर्चे में बंटेंगी। इस पर राजद नेता तेजस्वी यादव ने मुंह फुला लिया। उन्होंने कहा कि जेएमएम और कांग्रेस ने सीट बंटवारे की एकतरफा घोषणा की है। हालांकि कहा जा रहा है कि जो 11 सीटें छोड़ी गईं उनमें से सात पर राजद और चार पर लेफ्ट मोर्चे के उम्मीदवार लड़ेंगे।

गौरतलब है कि पिछले चुनाव में भी राजद के लिए सात छोड़ छोड़ी गई थी लेकिन उसका सिर्फ एक उम्मीदवार जीता था। सोचें, जब इतना अच्छा माहौल विपक्ष के लिए था, जिसमें 43 सीट पर लड़ कर जेएमएम 30 और 31 सीट पर लड़ कर कांग्रेस 16 जीती वहां राजद को सात में से सिर्फ एक सीट मिली। राजद ही कमजोर कड़ी साबित हुई। फिर भी उसे सात से ज्यादा सीटें चाहिए। यह हकीकत है कि झारखंड में राजद की कोई पूंजी नहीं है। वहां यादव का वोट राजद को नहीं मिलता है, बल्कि भाजपा को जाता है। भाजपा का अन्नपूर्ण यादव केंद्र में मंत्री हैं तो नीरा यादव रघुबर सरकार में मंत्री थीं। इसलिए कायदे से जेएमएम और कांग्रेस को राजद की सीटें कम करके लेफ्ट को ज्यादा सीट देनी चाहिए। हजारीबाग से लेकर कोडरमा तक और पलामू क्षेत्र में भी लेफ्ट का अच्छा खासा असर है। जेएमएम, कांग्रेस ने राजद के लिए सात सीट छोड़ कर गलती की है। अगर उसको अलग लड़ने दिया जाए तो शायद वह भाजपा का कुछ वोट काट सके।

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