अगले महीने झारखंड की स्थापना के 24 साल होने वाले हैं। इन 24 सालों में अनेक सरकारें बनीं और सरकारों का औसत कार्यकाल ढाई साल रहा है। इस दौरान सात मुख्यमंत्री बने हैं, जिनमें से कई अर्जुन मुंडा, शिबू सोरेन और हेमंत सोरेन ने कई बार शपथ ली है। इस बार के विधानसभा चुनाव में एक बेहद दिलचस्प परिघटना दिखाई दे रही है। वह ये है कि झारखंड के इतिहास में अब तक जितने भी मुख्यमंत्री हुए हैं चाहे वह जेएमएम का हो, भाजपा का हो या निर्दलीय हो, सबके परिवार का कोई न कोई सदस्य भाजपा की टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं। ऐसा नहीं है कि रिश्तेदार दूरदराज के हैं। तमाम पूर्व मुख्यमंत्रियों और मौजूदा मुख्यमंत्री के बेहद निकट रिश्तेदार या परिवार के सदस्य चुनाव लड़ रहे हैं।
राज्य के पहले मुख्यमंत्री शिबू सोरेन बने थे लेकिन वे बहुमत साबित नहीं कर पाए थे और फिर बाबूलाल मरांडी मुख्यमंत्री बने। इस बार के विधानसभा चुनाव में बाबूलाल मरांडी खुद राज धनवार सीट से चुनाव लड़ रहे हैं। 2006 से 20019 तक करीब 13 साल भाजपा से बाहर रहने के बाद वे भाजपा में लौटे और अभी प्रदेश अध्यक्ष हैं। शिबू सोरेन अब सक्रिय राजनीति में नहीं हैं। उनके बेटे हेमंत सोरेन मुख्यमंत्री हैं, जो बरहेट से और उनके भाई बसंत सोरेन दुमका से चुनाव लड़ेंगे। लेकिन शिबू सोरेन की बहू और हेमंत सोरेन की भाभी सीता सोरेन भाजपा की टिकट पर जामताड़ा विधानसभा सीट से चुनाव लड़ रही है। भाजपा ने सीता सोरेन को दुमका लोकसभा सीट से भी चुनाव लड़ाया था लेकिन वे हार गई थी।
भाजपा के दूसरे मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा थे। वे इस साल लोकसभा चुनाव में खूंटी सीट से हार गए थे। उससे पहले वे अपनी पारंपरिक खरसांवा सीट से विधानसभा का चुनाव भी हारे थे। तभी इस बार सीट बदल कर भाजपा ने उनकी पत्नी मीरा मुंडा को जमशेदपुर लोकसभा के तहत आने वाली पोटका सुरक्षित सीट से उम्मीदवार बनाया है। अर्जुन मुंडा की सरकार गिरा कर 2006 में निर्दलीय मधु कोड़ा मुख्यमंत्री बने थे। इस बार भाजपा ने उनकी पत्नी गीता कोड़ा को उनकी पारंपरिक जगन्नाथपुर सीट से उम्मीदवार बनाया था। गीता कोड़ा भाजपा की टिकट पर पूर्वी सिंहभूम सीट से चुनाव लड़ी थीं लेकिन जीत नहीं पाई थीं।
भाजपा के तीसरे मुख्यमंत्री रघुवर दास थे, जो पांच साल का कार्यकाल पूरा करने वाले झारखंड के पहले मुख्यमंत्री बने। वे 2014 से 2019 तक मुख्यमंत्री थी और इस समय ओडिशा के राज्यपाल हैं। भाजपा ने उनकी पारंपरिक जमशेदपुर पूर्वी सीट पर उनकी बहू पूर्णिमा दास साहू को उम्मीदवार बनाया है। हेमंत सोरेन के जेल जाने पर इस साल फरवरी में चम्पई सोरेन राज्य के मुख्यमंत्री बने थे। बाद में वे भाजपा में शामिल हो गए और भाजपा ने उनको सरायकेला सीट से उम्मीदवार बनाया है, जो उनकी पारंपरिक सीट है। लेकिन इसके साथ ही भाजपा ने उनके बेटे बाबूलाल सोरेन को बगल की घाटशिला सीट से टिकट दिया है। यानी पिता और पुत्र दोनों एक साथ भाजपा की टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं। सो, दो पूर्व मुख्यमंत्री खुद चुनाव लड़ रहे हैं और बाकियों के परिवार के सदस्य भाजपा की टिकट से लड़ रहे हैं।