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किसी नेता को झारखंड जाने की फुरसत नहीं

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कांग्रेस पार्टी झारखंड विधानसभा का चुनाव लड़ रही है और हरियाणा व जम्मू कश्मीर की हार के बाद झारखंड में पार्टी के नेता अच्छी खबर की संभावना देख रहे हैं। पिछली बार झारखंड में कांग्रेस 31 सीटों पर लड़ कर 16 सीटों पर जीती थी। इस बार लोकसभा चुनाव में उसने दो सीटें जीती हैं और विधानसभा सीटों में 30 सीटों पर लड़ रही है। लेकिन कांग्रेस का कोई बड़ा नेता झारखंड के चुनाव प्रचार में नहीं उतरा है। पहले चरण में 43 सीटों पर 13 नवंबर को मतदान है, उससे आठ दिन पहले मंगलवार, पांच नवंबर को जेएमएम, कांग्रेस और राजद एलायंस का घोषणापत्र जारी हुआ तो उस कार्यक्रम में हिस्सा लेने के लिए कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और प्रभारी महासचिव गुलाम अहमद मीर रांची पहुंचे थे। यह भी घोषणापत्र जारी करने की एक औपचारिकता थी, कोई चुनाव प्रचार नहीं था।

सोचें, झारखंड में जहां कांग्रेस के लिए कुछ संभावना दिख रही है और हेमंत सोरेन के कंधे पर सवार पर होकर सत्ता में आने का मौका मिल सकता है वहां पूरा चुनाव कांग्रेस ने हेमंत के भरोसे छोड़ दिया है। कांग्रेस के तमाम बड़े नेता पता नहीं कहां हैं और क्या कर रहे हैं? कुछ बड़े नेताओं को कांग्रेस ने महाराष्ट्र में जिम्मेदारी दी है। कलस्टर बना कर कई पूर्व मुख्यमंत्रियों को वहां चुनाव प्रचार में लगाया गया है। लेकिन ऐसा कुछ झारखंड में नहीं किया गया है। झारखंड में सिर्फ तारिक अनवर को पर्यवेक्षक बना कर औपचारिकता पूरी कर ली गई। इसके उलट भाजपा ने छह छह सीटों के कलस्टर बनाए हैं और केंद्रीय मंत्री, राज्यों के उपमुख्यमंत्री और सांसद इसके प्रभारी हैं। सबको अपने निर्धारित कलस्टर में रहना है और बिल्कुल जमीनी स्तर पर काम करता है। दोनों चुनाव प्रभारी शिवराज सिंह चौहान और हिमंत बिस्वा सरमा रात दिन झारखंड में मेहनत कर रहे हैं।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की दो चुनावी सभाएं हो चुकी हैं। अमित शाह और राजनाथ सिंह की सभाएं हो गईं। लेकिन राहुल गांधी को झारखंड जाने का समय नहीं मिला। प्रियंका तो खैर वायनाड में खुद ही चुनाव लड़ रही हैं। हालांकि वे भी वायनाड से फुरसत मिलने पर हिमाचल प्रदेश छुट्टी मनाने जा सकती हैं परंतु उनकी कोई चुनावी सभा नहीं होगी। कांग्रेस के पास दर्जनों पूर्व मुख्यमंत्री, पूर्व केंद्रीय मंत्री, पार्टी महासचिव, सचिव आदि हैं लेकिन किसी को झारखंड में चुनाव प्रचार करने की फुरसत नहीं है। उसके बाद कांग्रेस चुनाव हार जाएगी तो सारे नेता ईवीएम को दोष देने लगेंगे!

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