Jharkhand Assembly Election झारखंड में सरकार चला रही झारखंड मुक्ति मोर्चा ने भाजपा को कड़ी टक्कर दी है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और उनकी पत्नी कल्पना सोरेन ने भाजपा के स्टार प्रचारकों की भारी भरकम टीम के पसीने छुड़ाए हैं। लेकिन कांग्रेस की वजह से जेएमएम की चिंता बढ़ी है। गठबंधन में सीट बंटवारे के समय कांग्रेस ने दबाव बना कर 30 सीटें ले ली, जबकि उस समय भी जेएमएम का कहना था कि कांग्रेस के पास इतनी सीटों पर लड़ने के लिए मजबूत उम्मीदवार नहीं हैं। जेएमएम ने कहा था कि कांग्रेस के ज्यादातर विधायकों की स्थिति कमजोर है और उनकी सीटों को बदलना चाहिए। लेकिन कांग्रेस ने कोई बात नहीं सुनी।
कांग्रेस ने अपने ज्यादातर विधायकों को फिर से चुनाव में उतारा और बाकी सीटों पर टिकट बंटवारे में बहुत गड़बड़ी की। उसके बाद प्रचार की बारी आई तो कांग्रेस ने बहुत गंभीरता नहीं दिखाई। राहुल गांधी की सात सभाएं हुईं और मल्लिकार्जुन खड़गे ने चार सभा की। इन दो के अलावा राष्ट्रीय स्तर का कोई भी नेता प्रचार के लिए नहीं गया। कांग्रेस शासित राज्यों के मुख्यमंत्री या उप मुख्यमंत्री प्रचार से दूर रहे। पार्टी के महासचिवों को भी नहीं भेजा गया। प्रियंका गांधी वाड्रा एक भी सभा करने नहीं गईं। पार्टी के प्रभारी गुलाम अहमद मीर ने प्रचार किया तो घुसपैठियों को सस्ता सिलेंडर देने की बात करके अलग गुड़ गोबर किया। अब स्थिति यह है कि कांग्रेस कमजोर कड़ी साबित हो रही है। वह कई जीती हुई सीटों पर कमजोर है और उनके अलावा बाकी सीटों में कहीं भी मजबूती से लड़ते हुए नहीं दिख रही है।
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