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झारखंड भाजपा में ज्यादा बगावत है

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उम्मीदवार घोषित करने में बढ़त लेने के बाद भारतीय जनता पार्टी अब झारखंड में बगावत रोकने के अभियान में लगी है। राज्य में भाजपा के चुनाव प्रभारी शिवराज सिंह चौहान और सह प्रभारी हिमंत बिस्वा सरमा दोनों सोमवार, 21 अक्टूबर को पार्टी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और पूर्व सांसद रविंद्र राय को मनाने उनके घर गए थे। टिकट नहीं मिलने से नाराज रविंद्र राय अपनी पुरानी सीट राज धनवार से निर्दलीय चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे थे। इस सीट पर भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष और अघोषित सीएम दावेदार बाबूलाल मरांडी चुनाव लड़ रहे हैं। रविंद्र राय से मिलने के बाद हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा कि भाजपा को तो दो ही सीटों पर बगावत झेलनी पड़ रही है लेकिन जेएमएम को तो हर सीट पर समस्या है। लेकिन असल में स्थिति उलटी है। भाजपा को झारखंड की आधी सीटों पर बगावत का सामना करना पड़ रहा है।

भाजपा को सबसे बड़ा झटका लुईस मरांडी ने दिया है। बाबूलाल मरांडी जब से संथालपरगना छोड़ कर गए हैं तब से इस इलाके में भाजपा का झंडा लुईस मरांडी ने थामा हुआ था। उन्होंने 2014 के चुनाव में दुमका सीट पर हेमंत सोरेन को हराया था। इस बार भाजपा ने उनकी बजाय दुमका के सांसद रहे सुनील सोरेन को उम्मीदवार बना दिया। इससे नाराज लुईस मरांडी जेएमएम में शामिल हो गईं हैं। उनके साथ साथ कई और पूर्व विधायक जैसे कुणाल षाड़ंगी, लक्ष्मण टुडू, उदय सिंह उर्फ चुन्ना सिंह भी जेएमएम के साथ चले गए हैं, जिससे भाजपा को कोल्हान से लेकर संथालपरगना तक परेशानी होगी।

भाजपा से नाराज नेताओं या पूर्व विधायकों की संख्या इतनी ही नहीं है। सत्यानंद झा बाटुल ने पार्टी छोड़ दी है तो पूर्व मंत्री राज पालिवार और मिस्त्री सोरेन भी अपने विकल्प देख रहे हैं। चम्पई सोरेन की वजह से सीट गंवाने वाले भाजपा के मजबूत नेता गणेश महली ने भी निर्दलीय चुनाव लड़ने का ऐलान किया है। भाजपा के ऐसे नेताओं की लंबी सूची है, जो उम्मीदवारों की घोषणा के बाद से नाराज हैं और निर्दलीय लड़ने या जेएमएम, कांग्रेस में जाने या चुप बैठ कर भाजपा का विरोध करने की तैयारी में हैं। पिछले दिनों एनडीए उमाकांत रजक और केदार हाजरा भी जेएमएम में शामिल हो गए।

रांची सीट से विधानसभा चुनाव की तैयारी कर रहे संदीप वर्मा ने तो प्रेस कॉन्फ्रेंस करके भाजपा नेतृत्व से कई सवाल पूछे हैं और कहा कि अगर संतोषजनक जवाब नहीं मिलता है तो कई सीटों पर भाजपा के बागी निर्दलीय खड़े होंगे। गौरतलब है कि बाबूलाल मरांडी की पार्टी जेवीएम से जुड़े रहे संदीप वर्मा उनके साथ ही भाजपा में आए थे। उन्होंने पूछा है कि मीरा मुंडा, बाबूलाल सोरेन, पूर्णिमा दास और रामप्रकाश चौधरी को टिकट देने का कारण बताए पार्टी। उनका कहना है कि इन लोगों को सिर्फ इसलिए टिकट मिली है कि ये किसी नेता के परिवार के हैं। पार्टी में इनका कोई योगदान नहीं है। उन्होंने लोकसभा का चुनाव हारे सांसदों गीता कोड़ा, सीता सोरेन आदि को उम्मीदवार बनाने पर भी सवाल पूछा है। संदीप वर्मा प्रदेश अध्यक्ष रहे और राज्यसभा के सांसद दीपक प्रकाश के करीबी रिश्तेदार हैं। सो, भाजपा के नेताओं को एक या दो सीट पर नहीं, बल्कि दर्जनों सीटों पर बगावत रोकनी होगी।

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