लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने दो प्रयोग किए थे। हालांकि पार्टी की उदारता है कि उसने इसे पेटेंट नहीं कराया। लेकिन कालांतर में यह सूरत प्रयोग और इंदौर प्रयोग के नाम से भारत की राजनीति में स्थापित होगा। सूरत में कांग्रेस के प्रत्याशी नीलेश कुंभानी थे उन्होंने चार सेट में नामांकन दाखिल किया था और सबमें अपने रिश्तेदारों या जानकारों को प्रस्तावक बनाया था। नामांकन की जांच के समय प्रस्तावकों ने चुनाव अधिकारी के सामने हलफनामा देकर कहा कि उनके उम्मीदवार का नाम गलत है। इसके बाद कुंभानी का पर्चा रद्द हो गया और बाकी उम्मीदवारों के पर्चे वापस हो गए। इस तरह भाजपा के मुकेश दलाल निर्विरोध चुनाव जीत गए। भारत के इतिहास में पहली बार कोई लोकसभा सांसद निर्विरोध जीता। दूसरा प्रयोग इंदौर का था, जहां कांग्रेस के प्रत्याशी अक्षय बम ने अपना नाम वापस ले लिया। हालांकि समय रहते भाजपा बाकी उम्मीदवारों के नाम वापस नहीं करा पाई इसलिए मतदान हुआ लेकिन भाजपा प्रत्याशी की जीत पहले ही तय हो गई थी।
इसी से मिलता जुलता एक प्रयोग झारखंड में करने का प्रयास किया गया, जो कामयाब नहीं हुआ। झारखंड की बरहेट सीट से मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने नामांकन किया था। उनके प्रस्तावक मंडल मुर्मू थे, जो महान स्वतंत्रता सेनानी सिद्धो मुर्मू और कान्हो मुर्मू के वंशज हैं। पिछले शनिवार को हेमंत सोरेन की टीम को खबर मिली मंडल मुर्मू भाजपा नेताओं के संपर्क में हैं। इससे जेएमएम के नेता सक्रिय हुए और उन्होंने प्रस्ताव मंडल मुर्मू की खोज शुरू की। यह आरोप लगाया गया कि मुख्यमंत्री के प्रस्तावक को अगवा कर लिया गया है। इस आधार पर जेएमएम कार्यकर्ताओं के साथ साथ पुलिस भी भी उनकी तलाश करने लगी। रविवार को खोज टीम को मंडल मुर्मू का पता चला। पुलिस और जेएमएम कार्यकर्ताओं ने उनकी गाड़ी रोकी तो पता चला कि भाजपा के दो नेताओं के साथ कहीं जा रहे थे। किसी तरह से जेएमएम के लोग उनको अपने साथ ले गए।
लेकिन दिलचस्प यह है कि मंडल मुर्मू ने इस बात से इनकार कर दिया कि उनको अगवा किया गया था। उन्होंने यह भी कहा कि वे हेमंत सोरेन के प्रस्तावक हैं इसका यह मतलब नहीं है कि वे भाजपा नेताओं से नहीं मिल सकते हैं या उनसे नहीं मिल सकते हैं। परदे के पीछे का खेल अभी खुला नहीं है लेकिन यह तो साफ हो गया है कि भाजपा ने कुछ प्रयास किया था। गोड्डा से भाजपा के सांसद निशिकांत दुबे ने मंडल मुर्मू के साथ एक तस्वीर भी सोशल मीडिया में डाली थी। खैर, जैसे तैसे हेमंत सोरेन अपना प्रस्तावक बचाया। लेकिन ऐसा लग रहा है कि यह बात चुनाव आयोग को नागवार गुजरी है। जानकार सूत्रों के हवाले से ऐसी खबर आई है कि मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने झारखंड के चुनाव अधिकारी और अन्य अधिकारियों के साथ एक मीटिंग में इस पर नाराजगी जताई कि कैसे पुलिस ने एक सामान्य नागरिक की गाड़ी रोकी और अगर किसी शंका में गाड़ी रोकी गई तो उसकी वीडियोग्राफी क्यों नहीं कराई गई और जब गाड़ी में अवैध पैसा या शराब आदि नहीं मिला तो गाड़ी क्यों नहीं छोड़ दी गई? कुछ अधिकारी भी इस मामले में दोनों पक्षों के निशाने पर हैं। जिस समय हेमंत सोरेन के प्रस्तावक को तोड़ने का प्रयास किया जा रहा था उस समय तक भाजपा ने बरहेठ सीट से प्रत्याशी घोषित नहीं किया था। यह खेल बिगड़ने के बाद गमालियल हेम्ब्रम को टिकट दिया गया।