ऐसा लग रहा है कि हरियाणा में चौटाला परिवार की राजनीति समाप्त होने की तरफ बढ़ रही है। ओमप्रकाश चौटाला की इंडियन नेशनल लोकदल से अलग होकर जननायक जनता पार्टी बनाने वाले दुष्यंत चौटाला भी मुश्किल में हैं। अभी तो भाजपा के साथ उनका तालमेल है और दुष्यंत चौटाला उप मुख्यमंत्री भी हैं। लेकिन लोकसभा चुनाव में यह तालमेल समाप्त होने वाला है। भाजपा एक भी सीट उनकी पार्टी के लिए नहीं छोड़ रही है।
ओपेनहाइमर सचमुच सिकंदर!
दुष्यंत की पार्टी ने हिसार लोकसभा सीट पर दावा किया है लेकिन सबको पता है कि भाजपा ने उस सीट पर कुलदीप बिश्नोई को लड़ाने का फैसला किया है। कांग्रेस छोड़ कर उनके पूरे परिवार के साथ भाजपा में शामिल होने के समय ही साफ हो गया था कि हिसार सीट उनको मिलेगी, क्योंकि वे भाजपा की गैर जाट राजनीति में फिट बैठते हैं। तभी उस सीट के मौजूदा भाजपा सांसद बृजेंद्र सिंह ने भी इस्तीफा देकर कांग्रेस का दामन थाम लिया है। jat politics in haryana
यह भी पढ़ें : अरुण गोयल के इस्तीफे की क्या कहानी
असल में भाजपा अपनी गैर जाट राजनीति को और मजबूती दे रही है तो दूसरी ओर कांग्रेस जाट राजनीति की इकलौती खिलाड़ी के तौर पर उभर रही है। ध्यान रहे भाजपा ने मनोहर लाल खट्टर को मुख्यमंत्री बना कर गैर जाट राजनीति की शुरुआत की थी। दूसरी ओर कांग्रेस ने भूपेंद्र सिंह हुड्डा परिवार को पूरी पार्टी की कमान सौंप कर जाट राजनीति पर मुहर लगाई है। यही कारण है कि भाजपा छोड़ने वाले बृजेंद्र सिंह कांग्रेस के साथ गए। वे बड़े जाट नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री चौधरी बीरेंद्र सिंह के बेटे हैं। सो, एक तरफ भाजपा की गैर जाट राजनीति तो दूसरी ओर कांग्रेस की जाट राजनीति के बीच इंडियन नेशनल लोकदल और जननायक जनता पार्टी के लिए स्पेस बहुत कम हो गया है।