हरियाणा और जम्मू कश्मीर के चुनाव नतीजों के बाद कांग्रेस की कई सहयोगी पार्टियों ने कांग्रेस पर हमला किया। विपक्षी गठबंधन में शामिल उद्धव ठाकरे की शिव सेना और हेमंत सोरेन की झारखंड मुक्ति मोर्चा ने कांग्रेस पर निशाना साधा। तृणमूल कांग्रेस और आम आदमी पार्टी ने भी कांग्रेस पर हमला किया। लेकिन सबसे चौंकाने वाली खबर यह थी कि नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने भी कांग्रेस पर निशाना साधा। उन्होंने भी कांग्रेस को नसीहत देते हुए कहा कि उसे हरियाणा की हार पर गहराई से विचार करना चाहिए। उमर ने कहा- मैंने पहले ही कहा था कि एक्जिट पोल के नतीजों पर भरोसा नहीं करना चाहिए।
सवाल है कि महाराष्ट्र और झारखंड में चुनाव होने वाले हैं तो वहां के प्रादेशिक क्षत्रपों ने कांग्रेस पर दबाव बनाने के लिए बयान दिया लेकिन उमर अब्दुल्ला ने क्यों बयान दिया? इसका कारण थोड़ी देर बाद ही समझ में आ गया, जब छह में से पांच निर्दलीय विधायकों ने नेशनल कॉन्फ्रेंस को समर्थन देने का ऐलान किया। वैसे कहा तो यह जा रहा है कि सभी छह विधायक उमर का समर्थन करेंगे। अगर ऐसा होता है तो नेशनल कॉन्फ्रेंस के 42 और छह निर्दलियों के साथ संख्या बहुमत के आंकड़े तक पहुंच जाएगी। तब नेशनल कॉन्फ्रेंस को कांग्रेस के छह विधायकों की जरुरत नहीं होगी। क्या पता भाजपा और केंद्र सरकार को खुश रखने के लिए उमर अब्दुल्ला कांग्रेस के दूरी दिखाने लगें? ध्यान रहे भाजपा की असली समस्या कांग्रेस से है। जम्मू कश्मीर की प्रादेशिक पार्टियों से भाजपा को कोई खास परेशानी नहीं है।