जम्मू कश्मीर में फारूक अब्दुल्ला का परिवार का क्या फिर से भाजपा के करीब जा रहा है? यह लाख टके का सवाल है, जिसका जवाब अभी तुरंत नहीं मिलेगा लेकिन नेशनल कांफ्रेंस की राजनीति को देखने के बाद लग रहा है कि भाजपा से उसकी दूरी कम हुई है। गौरतलब है कि फारूक और उमर अब्दुल्ला ने ही गुपकर एलायंस की पहल की थी और भाजपा विरोधी पार्टियों को एक मंच पर इकट्ठा किया था। Jammu Kashmir politics
लेकिन अब नेशनल कांफ्रेंस की उससे दूर हो गई है। उसने विपक्षी गठबंधन को एक तरह से तोड़ दिया है। नेशनल कांफ्रेंस जम्मू कश्मीर और लद्दाख की छह लोकसभा सीटों के लिए एकतरफा तरीके से फैसला किया है। साथ ही उमर अब्दुल्ला ने विपक्षी नेताओं को नसीहत देते हुए कहा है कि वे नरेंद्र मोदी पर निजी हमला न करें। उन्होंने कहा है कि नरेंद्र मोदी पर हमला करने का फायदा उनको ही मिलता है। Jammu Kashmir politics
फारूक अब्दुल्ला की पार्टी ने कहा है कि कश्मीर की घाटी की तीन सीटें- श्रीनगर, बारामूला और अनंतनाग से उनका उम्मीदवार चुनाव लड़ेगा। यानी कांग्रेस और पीडीपी के लिए घाटी में एक भी सीट नहीं छोड़ी जाएगी। कांग्रेस को तो पहले ही बाहर कर दिया गया था लेकिन कहा जा रहा था कि दो सीटों पर नेशनल कांफ्रेंस और एक सीट पर पीडीपी लड़ेगी, जबकि जम्मू की दो सीटें कांग्रेस क मिलेंगी। Jammu Kashmir politics
लेकिन अब घाटी की तीनों सीटों पर नेशनल कांफ्रेंस के चुनाव लड़ने के ऐलान के बाद राज्य में तीनों पार्टियों का गठबंधन खत्म हो गया है। अगर तीनों पार्टियां हर सीट पर चुनाव लड़ती हैं तो उसका फायदा भाजपा को मिल सकता है।
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