उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इस बार जम्मू कश्मीर और हरियाणा के विधानसभा चुनावों के प्रचार से दूर हैं। आमतौर पर वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बाद सबसे ज्यादा डिमांड में रहते हैं। सुदूर दक्षिण के राज्यों में भी उनसे सभा कराई जाती है और वहां भी लोग उनको सुनने के लिए जुटते हैं। लेकिन भाजपा करो या मरो के अंदाज में जम्मू कश्मीर और हरियाणा में चुनाव लड़ रही है और योगी आदित्यनाथ से प्रचार नहीं करा रही है। इसे लेकर अब सवाल उठने लगे हैं। तभी हो सकता है कि औपचारिकता के लिए एकाध सभा हो लेकिन ऐसा लग रहा है कि लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में भाजपा के खराब प्रदर्शन करने और उसके बाद योगी को मुख्यमंत्री पद से हटाने की चर्चाओं से दोनों तरफ नाराजगी बढ़ी है।
योगी आदित्यनाथ ऐसा नहीं है कि चुपचाप बैठे हुए हैं। वे उत्तर प्रदेश में होने वाले उपचुनावों की तैयारी में लगे हैं। राज्य में 10 सीटें खाली हुई हैं, जिन पर नवंबर में महाराष्ट्र व झारखंड के समय उपचुनाव होगा। लोकसभा में खराब प्रदर्शन के बाद माना जा रहा है कि यह योगी के लिए लिटमस टेस्ट की तरह होगा। यह भी कहा जा रहा है कि अगर उपचुनावों में भाजपा अच्छा प्रदर्शन नहीं करती है तो योगी की गद्दी खतरे में आएगी। तभी वे उपचुनाव की तैयारी में मेहनत कर रहे हैं। इसके बावजूद वे कम से कम जम्मू क्षेत्र में प्रचार के लिए जा सकते थे। हरियाणा और जम्मू क्षेत्र में भाजपा ध्रुवीकरण के सारे प्रयास कर रही है।