भारतीय जनता पार्टी के लिए हरियाणा की जीत संजीवनी की तरह है। तभी पूरी पार्टी में जश्न मनाने के मूड में है, जबकि जम्मू कश्मीर में पार्टी चुनाव नहीं जीत सकी है। यह अलग बात है कि वहां भी भाजपा की सीटें बढ़ी हैं। पिछली बार उसे 25 सीटें मिली थीं और इस बार उसने 29 सीट जीती है। उसे चार सीटों का फायदा हुआ है। गौरतलब है कि राज्य में हुए परिसीमन के बाद राज्य में छह सीटें बढ़ाई गईं थीं, जिससे जम्मू क्षेत्र की सीटों की संख्या 37 से बढ़ कर 43 हो गई थी। इसका फायदा भाजपा को मिला है। फिर भी वहां नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस को सरकार बनाने का बहुमत मिल गया है। हालांकि हरियाणा की तरह ही कश्मीर में भी कांग्रेस को बड़ा झटका लगा है। वह सिर्फ छह सीट जीत पाई है, जबकि कांग्रेस नेताओं का दावा कम से कम 15 सीट जीतने का था।
परंतु इसको लेकर भाजपा बहुत चिंता में नहीं है। इसका कारण यह है कि वहां किसी तरह से भाजपा की ही सरकार रहनी है। ध्यान रहे जम्मू कश्मीर पुनर्गठन कानून के बाद केंद्र सरकार ने वहां शासन की ज्यादातर शक्तियां उप राज्यपाल के हाथ में दे दी हैं। जम्मू कश्मीर अभी पूर्ण राज्य नहीं है। वह दिल्ली की तरह अर्ध राज्य है, जहां उप राज्यपाल के पास सारे अधिकार हैं। अधिकारियों के ट्रांसफर और पोस्टिंग का अधिकार भी उप राज्यपाल के पास ही है। इसलिए भाजपा वहां को लेकर ज्यादा निराश नहीं है। वहां अभी पूर्ण राज्य का दर्जा नहीं बहाल होने जा रहा है। सरकार नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस की बनने के बाद भाजपा का प्रयास जारी रहेगा। वह अपने हाथ में सत्ता रखते हुए किसी समय तोड़ फोड़ के जरिए सरकार बनाने का प्रयास करेगी।