कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने बुधवार को जम्मू कश्मीर में कांग्रेस के चुनाव अभियान का आगाज किया। उन्होंने डोडा और रामबन में दो रैलियों को संबोधित किया। राहुल ने कहा कि कांग्रेस की सरकार बनी तो जम्मू कश्मीर का राज्य का दर्जा बहाल होगा। उन्होंने कहा कि हम राज्य का दर्जा बहाल करने जा रहे हैं। यह अच्छी बात है कि आजादी के बाद पहली बार जिस राज्य का दर्जा छीन कर उसको केंद्र शासित प्रदेश बनाया गया उसका पुराना दर्जा बहाल होगा। लेकिन सवाल है कि यह काम राहुल गांधी या कांग्रेस की प्रदेश सरकार कैसे करेगी? राज्य का दर्जा बहाल करने का काम तो केंद्र सरकार को करना है। दूसरे, राज्य का दर्जा बहाल होगा या विशेष राज्य का दर्जा बहाल होगा?
ध्यान रहे जम्मू कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा था लेकिन अनुच्छेद 370 और 35ए समाप्त किए जाने के साथ ही उसका विशेष राज्य का दर्जा खत्म हो गया। जब केंद्र की भाजपा सरकार ने अगस्त 2019 में अनुच्छेद 370 और 35ए खत्म किया तो कांग्रेस इस पर चुप रही थी। कांग्रेस अब भी नहीं कह रही है कि वह इन दोनों अनुच्छेदों को बहाल करेगी। यह बात उसकी सहयोगी नेशनल कॉन्फ्रेंस कह रही है। सो, जाहिर है कि राहुल राज्य का दर्जा बहाल होने की बात कर रहे हैं। लेकिन यह काम तो खुद ही होने जा रहा है! असल में इसमें राहुल गांधी या राज्य में बनने वाली नई सरकार को कुछ नहीं करना है। सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था कि 30 सितंबर तक जम्मू कश्मीर में चुनाव कराइए और उसका राज्य का दर्जा बहाल कीजिए। केंद्र सरकार इस पर राजी है और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह कह चुके हैं कि चुनाव के बाद राज्य का दर्जा बहाल हो जाएगा। विवाद इस बात पर था कि राज्य की कई पार्टियां चुनाव से पहले ही राज्य का दर्जा बहाल करने की घोषणा करने को कह रही थीं। चुनाव के बाद तो राज्य का दर्जा वैसे ही बहाल होना है। इसलिए राहुल गांधी का बयान श्रेय लेने की कोशिश है।