राज्य-शहर ई पेपर व्यूज़- विचार

जम्मू कश्मीर में भाजपा की क्या योजना?

यह लाख टके का सवाल है कि जम्मू कश्मीर में करीब छह साल तक राष्ट्रपति शासन रखने और अनुच्छेद 370 समाप्त करने के भी पांच साल बाद चुनाव हो रहे हैं तो उसे लेकर भाजपा की क्या योजना है? ऐसा तो संभव नहीं है कि सरकार सिर्फ सुप्रीम कोर्ट के दबाव में चुनाव करा रही है। उसने भी सोचा होगा और स्थितियां अनुकूल लगी होंगी तभी चुनाव हो रहे हैं। लेकिन किसी को समझ में नहीं आ रहा है कि भाजपा की चुनाव लड़ने की रणनीति क्या है और उससे भी ज्यादा अहम सवाल यह है कि चुनाव बाद की क्या योजना है? अमित शाह ने शनिवार, सात अगस्त को जम्मू में कहा कि इस बार जम्मू कश्मीर की सरकार जम्मू क्षेत्र से बनेगी। ठीक है। भाजपा को जम्मू में पिछली बार 37 में 25 सीटें मिली थीं। इस बार इस क्षेत्र में 43 सीटें हो गई हैं तो भाजपा बहुत अच्छा प्रदर्शन करे तो उसकी सीटें बढ़ कर 30 हो जाएंगी। लेकिन बहुमत का आंकड़ा तो 46 का है!

दूसरी ओर नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने कहा कि भाजपा जम्मू कश्मीर की छोटी पार्टियों और निर्दलीय उम्मीदवारों पर दांव लगा रही है। लेकिन क्या प्रादेशिक पार्टियों जैसे जम्मू कश्मीर पीपुल्स कॉन्फ्रेंस और अपनी पार्टी को इतनी सीटें मिलेंगी कि भाजपा उनकी मदद से सरकार बना सके? निर्दलीय चुनाव लड़ रहे और जीतने में सक्षम ज्यादातर उम्मीदवार अलगाववादी हैं, जिनमें एकाध तो जेल में बंद हैं। जेल में बंद एक अलगाववादी ने लोकसभा चुनाव में उमर अब्दुल्ला को हरा दिया था तो अब दूसरा जेल में बंद अलगाववादी विधानसभा चुनाव में उमर के खिलाफ लड़ रहा है। तो बड़ा सवाल है कि क्या भाजपा अलगाववादियों की भी मदद ले सकती है? जेल में बंद लोकसभा सांसद इंजीनियर राशिद की अवामी इत्तेहाद पार्टी चुनाव लड़ रही है। उसके कुछ सीटें जीतने की संभावना है। क्या सरकार बनाने के लिए भाजपा उसकी मदद भी ले सकती है? ध्यान रहे 2014 के चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित भाजपा के तमाम बड़े नेताओं ने पीडीपी को अलगाववादी और आतंकवाद समर्थक बताया था लेकिन चुनाव के बाद उसी पीडीपी की सरकार बनवा दी थी।

Leave a comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *