जम्मू कश्मीर में तीन चरण में विधानसभा चुनाव हो रहे हैं और आखिरी चरण के लिए एक अक्टूबर को होने वाले मतदान के नामांकन की प्रक्रिया समाप्त हो गई है। भारतीय जनता पार्टी कश्मीर घाटी में सिर्फ 19 सीटों पर चुनाव लड़ रही है। कश्मीर घाटी में कुल 47 सीटें हैं, जिनमें से भाजपा 19 पर लड़ रही है। ऐसा नहीं है कि उसका किसी पार्टी के साथ गठबंधन है और उसने उनके लिए सीटें छोड़ी हैं।
सोचें, उसने चुनाव से पहले हर सीट पर लड़ने की तैयारी की थी और हर सीट पर उसके उम्मीदवार तैयारी कर रहे थे। पहले से तैयारी करके बैठे उम्मीदवार कम सीट लड़ने से नाराज भी हैं लेकिन भाजपा ने परवाह नहीं की। इस तरह वह पूरे जम्मू कश्मीर की 90 में 62 सीटों पर लड़ेगी। तो क्या उसमें से उसको सरकार बनाने के लिए 46 सीटें मिल जाएंगी?
असल में भाजपा एक रणनीति के तहत घाटी में कम सीटों पर लड़ रही है। दक्षिणी कश्मीर की अनंतनाग सीट से भाजपा के उम्मीदवार रफीक वानी ने भाजपा की रणनीतिक तैयारियों का खुलासा कर दिया है। उनका कहना है कि अल्ताफ बुखारी की अपनी पार्टी, सज्जाद लोन की पीपुल्स कॉन्फ्रेंस, गुलाम नबी आजाद की डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव आजाद पार्टी और यहां तक कि इंजीनियर राशिद की आवामी इत्तेहाद पार्टी भी भाजपा की सहयोगी है और भाजपा के लिए लड़ रही हैं।
इतना ही नहीं घाटी में लड़ रहे ज्यादातर निर्दलीय भी भाजपा के ही उम्मीदवार हैं। भाजपा की रणनीति के मुताबिक अगर घाटी में वह पांच या छह सीट भी जीतती है तो जम्मू में 35 सीट जीत कर वह बहुमत के करीब पहुंच जाएगी और फिर दूसरी पार्टियों के सहयोग से सरकार बना लेगी। लेकिन क्या वह जम्मू की 43 में से सचमुच 30 या 35 सीट जीत पाएगी?