केंद्र सरकार ने हमास और इजराइल की जंग पर आधिकारिक रूप से जो बयान दिया उसमें उसने हमास के आतंकवादी संगठन बताते हुए उसके हमले की आलोचना की और फिलस्तीन के स्वतंत्र व संप्रभु राष्ट्र होने के अधिकार का समर्थन किया। लेकिन सरकार के बाद विपक्षी पार्टियों के कुछ नेता अतिरिक्त पहल करके फिलस्तीन का समर्थन कर रहे हैं। कई विपक्षी पार्टियों के नेता दिल्ली में फिलस्तीन के राजदूत से मिलने गए और अपना समर्थन दिया। इसमें कांग्रेस पार्टी की ओर से मणिशंकर अय्यर गए थे। पता नहीं आजकल पार्टी में उनकी क्या स्थिति है और यह भी पता नहीं है कि इस प्रतिनिधिमंडल में जाने के लिए उन्होंने पार्टी नेतृत्व की अनुमति ली थी या नहीं? ध्यान रहे कांग्रेस ने आधिकारिक रूप से इस तरह की कोई पहल नहीं की है। उसकी भी आधिकारिक प्रतिक्रिया लगभग सरकार की लाइन पर ही है।
बहरहाल, विदेश सेवा के पूर्व अधिकारी मणिशंकर अय्यर के अलावा इस प्रतिनिधिमंडल में जदयू के केसी त्यागी, बहुजन समाज पार्टी के दानिश अली, सीपीआई के ए राजा, सीपीएम के नीलोत्पल बसु, समाजवादी पार्टी के जावेद अली आदि नेता गए। माना जा रहा है कि अगले साल होने वाले लोकसभा चुनावों की वजह से पार्टियों के नेताओं ने यह सक्रियता दिखाई है। पिछले साल यूक्रेन पर रूस ने हमला किया था तब इस तरह की कोई पहल देखने को नहीं मिली थी। यह भी कहा जा रहा है कि मुस्लिम वोटों की चिंता में सेकुलर राजनीति करने वाली पार्टियों ने आगे बढ़ कर फिलस्तीन का समर्थन किया है। आखिर इस मसले पर दुनिया भर का मुस्लिम समुदाय एक होकर फिलस्तीन का समर्थन कर रहा है। कई जगह तो हमास का भी समर्थन हो रहा है और जश्न मनाया जा रहा है।