राज्य-शहर ई पेपर व्यूज़- विचार

सात हजार विशेष ट्रेन चलाने का क्या मतलब?

Image Source: ANI

पिछले हफ्ते रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करके बताया कि इस बार छठ में बिहार या पूर्वांचल जाने वाले लोगों को ज्यादा दिक्कत नहीं होगी क्योंकि रेलवे ने सात हजार विशेष ट्रेन चलाने का फैसला किया है। प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान देवेश चंद्र ठाकुर, लवली आनंद जैसे बिहार के कई सांसद मौजूद थे। यह दावा किया गया कि पिछले साल साढ़े चार हजार विशेष ट्रेन चली थी और इस बार सात हजार विशेष ट्रेन चलाई जाएगी। यह भी बताया गया कि विशेष ट्रेनों के 3,050 फेरे लगेंगे। अब सवाल है कि सात हजार ट्रेनें चलेंगी तो 3,050 फेरे कैसे लगेंगे? इससे बड़ा कंफ्यूजन बना। बाद में रेलवे अधिकारियों के हवाले से खबर आई कि 3,050 ट्रेनें अतिरिक्त चलाई जाएंगीं और कुछ ट्रेनों में अतिरिक्त बोगियां लगाई जाएंगी।

इसके बावजूद यह नहीं बताया गया कि कहां से कितनी विशेष ट्रेनें चल रही हैं। किस स्टेशन से कब और कितनी ट्रेनें चलेंगी और बिहार, उत्तर प्रदेश या झारखंड में कहां तक जाएंगी? यह भी नहीं बताया गया कि क्या बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश में रेलवे का बुनियादी ढांचा ऐसा है कि वह इतने छोटे अंतराल में इतनी संख्या में विशेष ट्रेनों का संचालन संभाल सके? हकीकत यह है कि विशेष ट्रेनों को छोड़िए नियमित ट्रेनों की हालत खराब है। छह छह घंटे की देरी से ट्रेनें खुल रही हैं और 15-15 घंटे की देरी से गंतव्य पर पहुंच रही हैं। देश के अनेक शहरों में रेलवे स्टेशनों पर भगदड़ जैसे हालात हैं और लोग जानवरों की तरह डिब्बों में ठूंस कर बिहार, उत्तर प्रदेश और झारखंड के अपने घर तक पहुंच पा रहे हैं।

By NI Political Desk

Get insights from the Nayaindia Political Desk, offering in-depth analysis, updates, and breaking news on Indian politics. From government policies to election coverage, we keep you informed on key political developments shaping the nation.

Leave a comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *