राज्य-शहर ई पेपर व्यूज़- विचार

छोटी पार्टियों से बातचीत भी नहीं

Image Source: ANI

यह कमाल की बात है कि कांग्रेस और उसकी बड़ी प्रादेशिक सहयोगी पार्टियों ने सीट बंटवारे से पहले छोटी सहयोगी पार्टियों से बातचीत की भी जरुरत नहीं समझी। झारखंड में कम्युनिस्ट पार्टियों के नेता इंतजार करते रहे लेकिन कांग्रेस और जेएमएम की तरफ से किसी ने बात नहीं की। सीपीआई माले के प्रमुख दीपांकर भट्टाचार्य ने पटना में उपचुनाव को लेकर हुई ‘इंडिया’ ब्लॉक की बैठक में अपनी पीड़ा बताई। कांग्रेस और जेएमएम की तरफ से एकतरफा तरीके से कभी चार तो कभी पांच सीट का प्रस्ताव दिया गया। सीपीआई माले को पांच सीट चाहिए थी लेकिन अगर बैठ कर बात होती तो वह चार सीट पर भी राजी हो जाती। अंत में दोनों पार्टियों ने सीट छोड़ी लेकिन इसके लिए बहुत बदमजगी हुई।

उधर महाराष्ट्र में समाजवादी पार्टी से कांग्रेस और बाकी पार्टियों ने बात नहीं की तो सपा ने भी एकतरफा तरीके से पांच उम्मीदवार घोषित कर दिए। इसके बाद खबर आई कि कांग्रेस, उद्धव ठाकरे और शरद पवार में समझौता हो गया। कांग्रेस 105, उद्धव 95 और पवार 84 सीटों पर लड़ेंगे। इस तरह 284 सीटें बंट गई। अब बची चार सीटें। तो क्या चार सीट सपा को मिलेगी, जिसने 12 सीटों की मांग की है और पांच पर उम्मीदवार घोषित कर दिए? यह कंफ्यूजन पहले बात नहीं करने की वजह से हुई। इसी तरह आम आदमी पार्टी से किसी ने बात नहीं की। हरियाणा में आप की वजह से कांग्रेस पांच सीटों पर हारी। आप को करीब दो फीसदी वोट आया। महाराष्ट्र में भी आम आदमी पार्टी थोड़े से वोट का नुकसान कर सकती है। आमने सामने की और कांटे की टक्कर में थोड़े से वोट का भी बड़ा मतलब होता है। कांग्रेस और उसके साथियों ने राजू शेट्टी, मनोज जरांगे पाटिल, बच्चू कडू, छत्रपति संभाजी या प्रकाश अंबेडकर से बात करने और इन्हें भी एडजस्ट करने का कोई प्रयास नहीं किया।

By NI Political Desk

Get insights from the Nayaindia Political Desk, offering in-depth analysis, updates, and breaking news on Indian politics. From government policies to election coverage, we keep you informed on key political developments shaping the nation.

Leave a comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *