विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ के अंदर एक छोटा उप समूह भी है, जिसके नेता हमेशा अपनी अलग राजनीति करने का मौका देखते रहते हैं। लोकसभा चुनाव से पहले यह उप समूह बहुत सक्रिय था। इसमें मुख्य रूप से ममता बनर्जी, अखिलेश यादव और अरविंद केजरीवाल शामिल रहे हैं। यह बहुत दिलचस्प है कि अब भी यह उप समूह काम कर रहा है, जबकि ममता बनर्जी औपचारिक रूप से विपक्षी गठबंधन का हिस्सा बनी ही नहीं थीं और केजरीवाल अब कांग्रेस से तालमेल तोड़ चुके हैं। गौरतलब है कि ममता बनर्जी ने पश्चिम बंगाल और पूर्वोत्तर के राज्यों में अकेले चुनाव लड़ा था। तालमेल के नाम पर इतना था कि उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने तृणमूल कांग्रेस को भदोही की एक सीट दी थी।
केजरीवाल ने कांग्रेस के साथ हरियाणा, दिल्ली और गुजरात में तालमेल किया था लेकिन अब आम आदमी पार्टी ने हरियाणा में अकेले सभी 90 सीटों पर लड़ने का ऐलान कर दिया है। सो, ये दोनों पार्टियां विपक्षी गठबंधन का औपचारिक रूप से हिस्सा नहीं हैं। तभी विपक्षी गठबंधन से अलग स्वतंत्र रूप से राजनीति करने की तैयारी इन पार्टियों की है। ममता बनर्जी ने हर साल की तरह 21 जुलाई को शहीद दिवस का आयोजन किया तो अखिलेश यादव उसमें शामिल हुए। केजरीवाल और उनकी पार्टी के शीर्ष नेताओं के साथ ममता और अखिलेश दोनों का संपर्क बना हुआ है। ये तीनों पार्टियां संसद के अंदर भी स्वतंत्र रास्ता लेने की संभावना पर विचार कर रहे हैं। असल में अखिलेश और केजरीवाल दोनों को कांग्रेस की चिंता सता रही है। जब से राहुल गांधी ने वायनाड की जगह रायबरेली की सीट चुनी है तब से अखिलेश की चिंता बढ़ी है। अगले साल केजरीवाल को भी दिल्ली में भाजपा के साथ साथ कांग्रेस से भी लड़ना होगा। दोनों को यह चिंता है कि अगर मुस्लिम और दलित कांग्रेस के साथ गए तो आप और सपा दोनों का रास्ता बहुत कठिन हो जाएगा।