विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ को बुनियादी रूप से तीन नेताओं की वजह से समस्या आ रही है। पहली नेता ममता बनर्जी हैं, दूसरे अरविंद केजरीवाल और तीसरे अखिलेश यादव। इन तीन नेताओं के मजबूत असर वाले राज्यों में कांग्रेस के साथ तालमेल में सबसे ज्यादा दिक्कत आनी है और इन तीन नेताओं की वजह से ‘इंडिया’ में एकजुटता की कमी भी दिखनी है। ध्यान रहे विपक्ष की बैठक में ममता बनर्जी ने अचानक प्रधानमंत्री पद के लिए मल्लिकार्जुन खड़गे के नाम की घोषणा कर दी और केजरीवाल ने उनका समर्थन कर दिया। ममता ने बाद में मीडिया के सामने भी इस बात को दोहराया। लेकिन मीडिया ने जब अखिलेश यादव से इस बारे में पूछा तो वे चुप्पी साध गए। माना जा रहा है कि इसका कारण यह है कि वे अब भी मायावती की बहुजन समाज पार्टी के साथ तालमेल की उम्मीद कर रहे हैं। इसलिए किसी दूसरे दलित नेता के बारे में बात नहीं कर सकते थे।
हालांकि उलटे समाजवादी पार्टी ने कहना शुरू कर दिया है कि कांग्रेस तय करे कि वह बसपा के साथ रहेगी या सपा के साथ। इस बात का कोई मतलब नहीं है क्योंकि बसपा ने अभी किसी के साथ तालमेल की बात नहीं की है। अगर बसपा और कांग्रेस के बीच तालमेल की बात है तो अखिलेश यादव को यह बाद ‘इंडिया’ की बैठक में उठानी चाहिए थी लेकिन वहां उन्होंने इस बारे में कुछ नहीं कहा। वे कांग्रेस को दो-चार सीटें देकर निपटाने की सोच बनाए हुए हैं। इसी तरह केजरीवाल के साथ दिक्कत यह है कि दिल्ली और पंजाब में उनकी सरकार है और वे मान रहे हैं कि इन राज्यों में उन्हें ज्यादा सीटें लड़नी चाहिए। अगर कांग्रेस उनकी दी हुई सीटों पर सहमत नहीं होगी तो वे अकेले लड़ेंगे। ममता बनर्जी भी सिर्फ दिखावे के लिए कांग्रेस और लेफ्ट के साथ तालमेल की बात कर रही हैं। वे भी चाहेंगी कि कांग्रेस और दो-चार सीटें लेकर मान जाएं या फिर अकेले लड़ें। बदले में केजरीवाल, ममता और अखिलेश तीनों को अपने अपने राज्य से बाहर भी सीट चाहिए।