maharashtra politics: महाराष्ट्र की राजनीति को लेकर यह जुमला वहां के जानकार अक्सर बोलते हैं कि कांग्रेस और भाजपा एक साथ नहीं आएंगे लेकिन इन दोनों के अलावा बाकी सारी पार्टियां सबके साथ जा सकती हैं। यह देखा भी जा चुका है।
भाजपा ने 2014 में एनसीपी के समर्थन से सरकार बनाई थी और बाद में कांग्रेस व एनसीपी ने उद्धव ठाकरे के नेतृत्व में शिव सेना की सरकार बनवाई।(maharashtra politics)
अब कहा जा रहा है कि विधानसभा चुनाव के नतीजों के बाद राज्य की राजनीति में नया ध्रुवीकरण हो रहा है। पार्टियों के नेता एक दूसरे से मिल रहे हैं।
सभी प्रादेशिक पार्टियों की एकजुटता की बात हो रही है और उद्धव ठाकरे की शिव सेना के भाजपा के साथ लौटने की चर्चा हो रही है।
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उद्धव ठाकरे की पार्टी का अस्तित्व(maharashtra politics)
हालांकि हो सकता है कि यह सिर्फ चर्चा हो क्योंकि उद्धव ठाकरे की पार्टी अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही है और उसका अस्तित्व तभी बचेगा, जब बृहन्नमुंबई महानगरपालिका यानी बीएमसी का चुनाव वह जीते।(maharashtra politics)
भाजपा के साथ नजदीकी दिखाने का प्रयास इसलिए भी किया जा रहा हो सकता है कि जनता को मैसेज दिया जाए कि देर सबेर दोनों पार्टियों को साथ आना है।
गौरतलब है कि बीएमसी में इन्हीं दोनों पार्टियों का दबदबा रहा है। बाकी पार्टियां हाशिए की ताकत हैं।(maharashtra politics)
तभी पिछले दिनों एक शादी समारोह में उद्धव ठाकरे की मौजूदगी में उनके करीबी मिलिंद नार्वेकर ने भाजपा नेता और मंत्री चंद्रकांत पाटिल से पूछा कि दोनों पार्टियां कब साथ आएंगी। इससे पहले संजय राउत ने भी कहा कि दोनों तरफ एक जैसी भावनाएं हैं।
दोनों पार्टियों के नेता साथ आना चाहते हैं। हालांकि भाजपा की ओर से लगातार ऐसी खबरों का खंडन किया जा रहा है लेकिन उद्धव ठाकरे की पार्टी मैसेज बनवाने के लिए भाजपा के साथ जाने की बात का प्रचार कर रही है।