भारतीय जनता पार्टी के नेताओं ने एक अजीब से बहस शुरू कर दी, जो बाद में सोशल मीडिया में खूब फैल गई। भाजपा नेताओं ने यह शिगूफा छोड़ा कि विपक्ष की पार्टियां राहुल गांधी के कामकाज और उनके प्रदर्शन से खुश नहीं हैं और नेता प्रतिपक्ष बदलना चाहती हैं। क्या भाजपा नेताओं को यह पता नहीं है कि राहुल गांधी लोकसभा में कांग्रेस के नेता चुने गए हैं और कांग्रेस लोकसभा में सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी है, इस नाते उनको नेता विपक्ष का पद मिला हुआ है? सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी के नेता के नाते राहुल नेता विपक्ष हैं। उनको विपक्षी गठबंधन ने नेता नहीं चुना है। अगर विपक्ष गठबंधन की बाकी सारी पार्टियां भी एकजुट हो जाएं और राहुल को नेता विपक्ष के पद से हटाना चाहें तो यह संभव नहीं है। इतनी बात तो सबको पता होती है। फिर भी भाजपा नेताओं ने इसका प्रचार किया।
हैरानी की बात है कि विदेश से कानून की पढ़ाई करने और लंबे समय तक वकालत करने के बाद भाजपा की सांसद बनी बांसुरी स्वराज ने भी यह बात कही। भाजपा के नेताओं ने प्रचार किया कि गैर कांग्रेस विपक्षी पार्टियां नेता विपक्ष के पद को रोटेशनल करना चाहती हैं और चाहती हैं कि बदल बदल कर नेता यह जिम्मेदारी संभालें। सोचें, इससे ज्यादा मूर्खतापूर्ण बात क्या हो सकती है? जो सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी है वह किसी वजह से चाहे तो नेता बदल सकती है। लेकिन दूसरी विपक्षी पार्टियों के कहने से यह पद रोटेशनल नहीं हो सकता है। ऐसा लग रहा है कि सोशल मीडिया के यूजर्स के आईक्यू लेवल और उनके संसदीय ज्ञान के बारे में भाजपा को पता है। इसलिए वह इस तरह की मूर्खतापूर्ण बातों का भी प्रचार कर देती है और लोग उस पर यकीन कर लेते हैं। इसका मकसद जनता में यह मैसेज बनवाना है कि राहुल गांधी विफल हो गए हैं और उन पर उनके गठबंधन की पार्टियों को भी भरोसा नहीं है। कांग्रेस ने अच्छा ही किया, जो इसका जवाब देकर बहस आगे नहीं बढ़ाई।