एनसीपी के संस्थापक और दिग्गज मराठा नेता शरद पवार ने चुनाव के दौरान राजनीति से संन्यास लेने की इच्छा जताई थी। लेकिन क्या सचमुच वे संन्यास लेने वाले हैं या उन्होंने चुनाव के बीच भावनात्मक कार्ड खेला था ताकि आखिरी चुनाव के नाम पर उनको वोट मिल सकें? इसका पता दो साल बाद चलेगा। शरद पवार अप्रैल 2026 में राज्यसभा से रिटायर होंगे। उनका छह साल का कार्यकाल खत्म होगा और इस बार उनकी पार्टी उनको राज्यसभा में भेजने में सक्षम नहीं है। ऐसे में शरद पवार क्या करेंगे? क्या वे समूचे महा विकास अघाड़ी की एकजुटता बनाए रखते हुए अपने नाम पर सहमति बनाएंगे? ध्यान रहे वे 84 साल के हो चुके हैं।
असल में पूरे महा विकास अघाड़ी को 50 सीटें नहीं मिली हैं, राज्य में आमतौर पर राज्यसभा की एक सीट के लिए 43 वोट की जरुरत होती है। अगर गठबंधन एक रहता है तो उनको एक सीट मिल सकती है। शिव सेना के संजय राउत के साथ समस्या नहीं है क्योंकि उनका कार्यकाल 2028 में खत्म हो रहा है लेकिन उद्धव ठाकरे की शिव सेना की सांसद प्रियंका चतुर्वेदी का कार्यकाल शरद पवार के साथ ही खत्म हो रहा है। सो, जाहिर है अगर शरद पवार राज्यसभा में जाना चाहेंगे तो उनको प्रमुखता दी जाएगी। अगर शरद पवार अनिच्छा जाहिर करते हैं तब भी प्रियंका चतुर्वेदी के लिए राज्यसभा जाना मुश्किल होगा। वैसे चुनाव के बीच से ही उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपना पसंदीदा नेता बताना शुरू कर दिया था।