इससे पहले योगी आदित्यनाथ की सरकार ने धर्मांतरण विरोधी कानून को और कठोर बनाने का बिल पास कराया। 30 जुलाई को विधानसभा में उत्तर प्रदेश विधि विरूद्ध धर्म परिवर्तन (प्रतिषेध) विधेयक, 2024 पास किया गया। इसमें 2021 के मूल धर्मांतरण विरोधी कानून के प्रावधानों को और सख्त किया गया है। इसमें कुछ नए अपराध भी जोड़े गए हैं। तभी विपक्षी पार्टियों और कुछ स्वतंत्र जानकारों ने इसके दुरुपयोग की आशंका भी जताई। इस बीच राज्य में महिलाओं के प्रति बढ़ते अपराध को देखते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एंटी रोमियो स्क्वायड को फिर से सक्रिय करने का आदेश दिया है।
इसी तरह पिछले महीने कांवड़ यात्रा के दौरान रास्ते में पड़ने वाली दुकानों के मालिकों को बड़े अक्षरों में अपना नाम लिखने का आदेश राज्य सरकार ने दिया था। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार के इस फैसले पर रोक लगा दी लेकिन इसमें कोई संदेह नहीं है कि योगी आदित्यनाथ की सरकार के इस आदेश ने उनकी कट्टर हिंदू नेता की छवि को मजबूत किया। भाजपा के अंदर भी इस आदेश को लेकर दो खेमे बन जाने की खबर आई थी। बहरहाल, हिंदू हृदय सम्राट वाली अपनी छवि को मजबूत करने के कामों की शृंखला में एक काम योगी सरकार ने यह भी किया कि लखनऊ के पंत नगर और इंद्रप्रस्थ नगर में घरों और दुकानों को तोड़ने पर रोक लगा दी। ये दोनों बस्तियां हिंदू बहुल हैं, जिन्हें सिंचाई विभाग ने डूब क्षेत्र मान कर तोड़ने का आदेश दिया था। गौरतलब है कि कुछ दिन पहले ही अकबरनगर में 18 सौ घर और दुकानें तोड़ी गई थीं।