भारत की राजनीति में दो महिला नेताओं का उदय हुआ है। उनकी राजनीति पर नजर रखने की जरुरत है। केंद्र सरकार ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को जेल भेज कर उनकी पत्नी सुनीता कजरीवाल को मौका दिया तो झारखंड में हेमंत सोरेन को जेल भेज कर उनकी पत्नी कल्पना सोरेन को मौका दिया। ये दोनों महिलाएं सक्रिय राजनीति में आ गई हैं और दोनों राज्यों में इसका असर महसूस किया जाने लगा है। दिल्ली में सुनीता केजरीवाल को आम आदमी पार्टी ने प्रचार की कमान सौंप दी है। उन्होंने दिल्ली में रोड शो किया है और जिस तरह का रिस्पांस देखने को मिला है वह अभूतपूर्व था। हजारों की संख्या में लोग सड़क पर उतरे और उनके रोड शो में शामिल हुए। राज्यसभा सांसद संजय सिंह के जेल से रिहा होने के बाद कहा जा रहा था कि पार्टी में दो सत्ता केंद्र बन सकते हैं लेकिन बड़ी होशियारी से संजय सिंह ने ऐसा नहीं होने दिया। पार्टी में एकमात्र सत्ता केंद्र सुनीता केजरीवाल का है। उनके लिए विधानसभा की सीट खोजी जा रही है और वे अगले साल का चुनाव लड़ेंगी। लोकसभा चुनाव में वे दिल्ली से बाहर भी प्रचार के लिए जाएंगी।
उधर झारखंड में हेमंत सोरेने की पत्नी कल्पना सोरेन के चुनाव लड़ने का ऐलान हो गया है। वे गांडेय विधानसभा सीट से उपचुनाव लड़ेंगी। यह सीट एक जनवरी को खाली हुई थी लेकिन चुनाव आयोग ने उपचुनाव की घोषणा नहीं की थी क्योंकि भाजपा ने पहले ही प्रचार शुरू कर दिया था कि हेमंत अपनी पत्नी को लड़ाना चाहते हैं। लेकिन बाद में चुनाव आयोग की मजबूरी हो गई क्योंकि भाजपा ने हरियाणा के मुख्यमंत्री को हटा दिया और मनोहर लाल की जगह जो नए मुख्यमंत्री बने वे विधायक नहीं थे। इसलिए करनाल सीट पर उपचुनाव की मजबूरी बनी तो गांडेय सीट पर भी छह महीने के लिए चुनाव हो रहा है। हेमंत के जेल जाने के बाद वैसे भी कल्पना सोरेन पार्टी के नेता के तौर पर स्वीकार कर ली गई हैं लेकिन विधानसभा का चुनाव जीतने के बाद वे राज्य की मुख्यमंत्री भी बन सकती हैं। सोचें, ऐसा हुआ तो वे झारखंड के एक चौथाई सदी के इतिहास में पहली महिला मुख्यमंत्री होंगी। वे इसी साल होने वाले विधानसभा चुनाव में भाजपा का पूरा गणित बिगाड़ सकती हैं।
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