हरियाणा सरकार के विज्ञापनों से दिल्ली के अखबार भरे पड़े हैं। हर दिन एक या दो पूरे पन्ने का विज्ञापन होता है, जिसमें सरकार की उपलब्धियां बताई जाती हैं। इसके बावजूद राज्य सरकार के खिलाफ एंटी इन्कम्बैंसी खत्म नहीं हो रही है। इसके कई कारण बताए जा रहे हैं लेकिन एक मुख्य कारण यह बताया जा रहा है कि पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर प्रदेश नहीं छोड़ रहे हैं। वे हरियाणा की राजनीति से बाहर नहीं जा रहे हैं। केंद्रीय मंत्री हो जाने के बावजूद वे हरियाणा की राजनीति में सारे समय सक्रिय रहते हैं।
असल में मनोहर लाल खट्टर नौ साल से ज्यादा समय तक मुख्यमंत्री रहने के बाद जब हटाए गए तो उनकी पसंद के नायब सिंह सैनी को सीएम बनाया गया। सैनी ने खट्टर की खाली की हुई विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा और खट्टर खुद सैनी की लोकसभा सीट से चुनाव लड़ कर सांसद बने। दोनों में बहुत गहरा लगाव है। सो, हर जगह सैनी खुद को खट्टर का आदमी बताते हैं और हर जगह खट्टर भी पहुंचे रहते हैं। केंद्र में दो बड़े विभागों के मंत्री बनने के बाद भी मनोहर लाल का मन हरियाणा में रमा हुआ है। तभी भाजपा के ही नेताओं का मानना है कि जब तक उनका चेहरा नहीं हटेगा, तब तक उनकी सरकार से रही नाराजगी भी खत्म नहीं होगी। इसी तरह अगर उनकी सक्रियता कम नहीं होती है तो सैनी का नेतृत्व भी मजबूती से स्थापित नहीं होगा और तब पिछड़ी जातियों का एकमुश्त वोट लेने की भाजपा की योजना भी कामयाब नहीं होगा।