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हरियाणा में आप से प्रतीकात्मक तालमेल

कांग्रेस

कांग्रेस पार्टी हरियाणा में क्या आम आदमी पार्टी से तालमेल करेगी? कांग्रेस के तमाम नेता आशंकित हैं। हरियाणा के नेताओं को लग रहा है कि पिछले 11 साल से लगातार प्रयास करने के बावजूद आम आदमी पार्टी को हरियाणा में जगह नहीं मिली है। किसी भी चुनाव में उसके नेताओं को सम्मानजनक वोट नहीं मिला है। हर चुनाव में उसका मुकाबला नोटा से ही रहा है। अगर कांग्रेस उससे तालमेल करती है तो उसे राज्य में पैर जमाने की जगह मिलेगी और उसके बाद दिल्ली की तरह की स्थिति बन सकती है। ध्यान रहे दिल्ली में 2013 में पहली बार कांग्रेस ने ही अपने आठ विधायकों का समर्थन देकर अरविंद केजरीवाल को मुख्यमंत्री बनवाया था। उसके बाद के दो विधानसभा और दो लोकसभा चुनावों में कांग्रेस जीरो पर रही है। उसका खाता नहीं खुल सका है।

इसी के हवाले हरियाणा कांग्रेस के नेता आप का विरोध कर रहे हैं। इस बीच आप के नेता एक के बाद एक पार्टी छोड़ रहे हैं। पार्टी के बड़े नेता निर्मल सिंह और उनकी बेटी चित्रा सरवरा ने आम आदमी पार्टी छोड़ दी और कांग्रेस में शामिल हो गए। वे पहले कांग्रेस में ही थे और चार विधायक व राज्य सरकार में मंत्री रहे थे। उनके आप छोड़ने से पार्टी को झटका लगा है। अगर वे आप में रहते तो कुरुक्षेत्र सीट से लोकसभा चुनाव के दावेदार होते। इसी तरह सिरसा सीट के दावेदार अशोक तंवर ने भी आप छोड़ दी है। वे भाजपा में शामिल हो गए हैं। वे पहले कांग्रेस के सांसद और प्रदेश अध्यक्ष थे। इससे भी आम आदमी पार्टी की स्थिति कमजोर हुई और वह कांग्रेस के साथ ज्यादा मोलभाव करने की स्थिति में नहीं है। तभी कहा जा रहा है कि प्रतीकात्मक रूप से कांग्रेस एक सीट दे सकती है। लेकिन दूसरी ओर कई नेता दोस्ताना मुकाबले की बात कर रहे हैं। वे नहीं चाहते हैं कि कांग्रेस अपना वोट आप को ट्रांसफर कराए।

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