भारतीय जनता पार्टी ने हरियाणा की सभी 10 लोकसभा सीटों के लिए उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है। ऐसा लग रहा है कि भाजपा इस बार पूर्व कांग्रेसी नेताओं के सहारे हरियाणा का चुनाव लड़ रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तमाम लहर के बावजूद भाजपा ने अपने नेताओं की बजाय कांग्रेस से आयातित नेताओं पर भरोसा दिखाया। पहले तो भाजपा ने साढ़े नौ साल राज करने के बाद मुख्यमंत्री बदल दिया।
इससे भी यह मैसेज गया कि भाजपा को हरियाणा में सत्ता विरोध की लहर का अंदाजा है इसलिए वह चुनाव से ऐन पहले मुख्यमंत्री बदल कर उसे कम करना चाहती है। उसके बाद जब उम्मीदवारों की घोषणा हुई तो 10 में से सात सीटों पर ऐसे उम्मीदवार उतारे, जो पहले कांग्रेस में या दूसरी पार्टी में थे। इनमें से कुछ तो पहले से ही भाजपा के सांसद हैं। लेकिन जो नए लाए गए वे भी पुराने कांग्रेसी हैं।
सबसे हैरान करने वाला फैसला तो उद्योगपति नवीन जिंदल का रहा, जिनको पार्टी ज्वाइन करने के आधे घंटे के अंदर में टिकट दे दी गई। वे कुरुक्षेत्र सीट से दो बार कांग्रेस के सासंद रहे हैं। उनकी मां सावित्री जिंदल भी कांग्रेस से विधायक थीं और भूपेंद्र सिंह हुड्डा की सरकार में मंत्री भी थीं। भाजपा ने फिर से गुड़गांव सीट पर राव इंद्रजीत सिंह को उम्मीदवार बनाया है। वे नरेंद्र मोदी की सरकार में मंत्री हैं लेकिन पहले मनमोहन सिंह की सरकार में भी मंत्री रहे हैं।
वे कांग्रेस की टिकट पर इस सीट से जीतते थे। सिरसा लोकसभा सीट से भाजपा ने अशोक तंवर को उम्मीदवार बनाया है, जो उसी सीट से कांग्रेस के सांसद रहे हैं और छह साल तक कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष भी रहे। रोहतक सीट से डॉक्टर अरविंद शर्मा फिर से भाजपा की टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं। इसी तरह भिवानी-महेंद्रगढ़ सीट से भाजपा ने सासंद धर्मबीर सिंह को फिर उम्मीदवार बनाया है। वे भी कांग्रेस छोड़ कर भाजपा में गए थे। इस बार भाजपा ने हिसार लोकसभा सीट से रणजीत चौटाला को उम्मीदवार बनाया है। वे इंडियन नेशनल लोकदल के नेता थे और निर्दलीय विधायक जीते थे। वे पार्टी में शामिल हुए और उनको टिकट मिल गई।