हरियाणा के दिग्गज नेता रहे चौधरी बीरेंद्र सिंह का भाजपा से मोहभंग हो गया है। लेकिन उनको समझ में नहीं आ रहा है वे क्या करें। पहले कहा जा रहा था कि वे आम आदमी पार्टी के संपर्क में हैं लेकिन उनको लगने लगा है कि हरियाणा की राजनीति में आप के लिए कोई संभावना नहीं है। तभी उन्होंने वापस अपनी पुरानी पार्टी कांग्रेस की ओर रुख किया है। बताया जा रहा है कि वे कांग्रेस नेता और राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के संपर्क में हैं। इन दिनों हुड्डा के साथ उनकी अच्छी बन रही है। तभी चर्चा है कि वे और उनके सांसद बेटे बृजेंद्र सिंह कांग्रेस में शामिल हो सकते हैं।
भाजपा से उनके मोहभंग के दो कारण हैं, जिनमें से एक का उन्होंने खुल कर जिक्र किया है। उन्होंने कहा है कि अगर भाजपा और जननायक जनता पार्टी का तालमेल रहता है तो वे भाजपा में नहीं रहेंगे। ध्यान रहे दुष्यंत चौटाला की जननायक जनता पार्टी राज्य सरकार में शामिल है और दुष्यंत उप मुख्यमंत्री हैं। लोकसभा चुनाव में दोनों का तालमेल रहेगा या नहीं यह नहीं कहा जा सकता है लेकिन बीरेंद्र सिंह ने पहले ही अपनी पोजिशनिंग शुरू कर दी है। यह पोजिशनिंग अपने बेट की हिसार लोकसभा और अपनी पुरानी उचाना कला विधानसभा सीट को लेकर है। दूसरा कारण कुलदीप बिश्नोई हैं, जो अब भाजपा में हैं।
बीरेंद्र सिंह के बेटे बृजेंद्र सिंह आईएएस अधिकारी थे लेकिन उन्होंने नौकरी से इस्तीफा दे दिया था और भाजपा ने हिसार से उनको टिकट दी थी। वे जीत कर सांसद हो गए। लेकिन मुश्किल यह है कि हिसार लोकसभा सीट पर पिछले चुनाव में उनके खिलाफ लड़ने वाले दोनों मुख्य प्रतिद्वंद्वी इस समय भाजपा में हैं। बृजेंद्र सिंह के खिलाफ उस समय जेजेपी से दुष्यंत चौटाला लड़े थे, जो दूसरे स्थान पर रहे। कांग्रेस से भव्य बिश्नोई चुनाव लड़े थे, जो तीसरे स्थान पर रहे। अब भव्य बिश्नोई भाजपा के विधायक हैं। बताया जा रहा है कि भाजपा ने दिवंगत भजनलाल के बेटे कुलदीप बिश्नोई को हिसार लोकसभा सीट देने का वादा किया है। इसी तरह उचाना कला लोकसभा सीट बनने के बाद पहली बार 1977 में वहां से बीरेंद्र सिंह जीते थे। 2014 में उनकी पत्नी प्रेमलता सिंह वहां से विधायक रहीं। अब दुष्यंत चौटाला उसी सीट से विधायक हैं। चौटाला से अगर उचाना कला पर समस्या है तो कुलदीप से हिसार पर।