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विनेश की सीट आसान नहीं है

ओलम्पिक के फाइनल तक पहुंचने वाली पहलवान विनेश फोगाट को कांग्रेस में शामिल होते ही विधानसभा की टिकट मिल गई। वे जुलाना सीट से चुनाव लड़ेंगी। हकीकत यह है कि विनेश और उनके समर्थक इस सीट से टिकट नहीं चाह रहे थे। विनेश के लिए चरखी दादरी की सीट मांगी जा रही थी, जहां से पिछली बार भाजपा की बबिता फोगाट चुनाव लड़ी थीं लेकिन वे तीसरे स्थान पर रही थीं। जजपा के सतपाल सांगवान दूसरे स्थान पर रहे थे, जबकि निर्दलीय सोमवीर सांगवान जीते थे। जाट बहुल इस सीट पर विनेश की चचेरी बहन बबिता की हार के पीछे बाहरी का कारण सबसे अहम था। फोगाट परिवार बलाली का रहने वाला है। इसी आधार पर कांग्रेस ने भी विनेश की दादरी सीट की मांग ठुकराई।

विनेश के पास विकल्प था कि वे बरोद सीट से लड़े, जहां उनका पुश्तैनी घर है या जुलाना लड़ें, जहां उनकी ससुराल है। अंत में उनके जुलाना लड़ने का फैसला हुआ। लेकिन यह सीट भी उनके लिए आसान नहीं है। पिछले तीन चुनाव से कांग्रेस इस सीट पर नहीं जीती है। आखिरी बार 2005 में शेर सिंह इस सीट से जीते थे। पिछले चुनाव में तो कांग्रेस उम्मीदवार तीसरे स्थान पर रहे थे। इस क्षेत्र में भाजपा के अलावा जजपा और इनेलो का भी अच्छा खासा असर है। तभी कांग्रेस की टिकट पर विनेश के लिए चुनाव जीतना आसान नहीं होगा। एक तरह से कांग्रेस ने बोनस सीट के लिए विनेश पर दांव लगाया है। अगर जीत गए तो कांग्रेस को फायदा है और अगर हारे तो कांग्रेस को कोई नुकसान नहीं है। यह एक सोचा समझा रिस्क है। कांग्रेस को लग रहा है कि विनेश के प्रति सहानुभूति का लाभ सिर्फ जुलाना नहीं, बल्कि पूरे जींद के इलाके में मिल सकता है।

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