एक बात माननी होगी कि समाजवादी पार्टी और राष्ट्रीय जनता दल जैसी प्रादेशिक पार्टियों ने नए प्रवक्ताओं और चुनाव प्रबंधन की नई टीमों के जरिए सोशल मीडिया में एक मजबूत इकोसिस्टम डेवलप किया है। तभी हर मसले पर इन दोनों पार्टियों के समर्थक सक्रिय हो जाते हैं और अपनी पार्टी व अपने नेता की खूब चर्चा कराते हैं। तभी हरियाणा के चुनाव नतीजों के बाद अचानक समाजवादी पार्टी की चर्चा होने लगी। कांग्रेस के सांसद दीपेंद्र हुड्डा का एक वीडियो वायरल होने लगा, जिसमें वे कहते सुनाई दे रहे हैं कि हरियाणा में समाजवादी पार्टी का कोई आधार नहीं है इसलिए उसको सीटें देकर तालमेल करने की जरुरत नहीं है। इसके साथ ही यह भी दावा किया जाने लगा है कि हरियाणा में 14 फीसदी यादव हैं और अगर कांग्रेस ने पांच सीट देकर समाजवादी पार्टी से तालमेल किया होता तो इस तरह का नतीजा नहीं आता। गौरतलब है कि अहीरवाल के इलाके में कांग्रेस का प्रदर्शन काफी खराब रहा है और कैप्टेन अजय यादव के बेटे और लालू प्रसाद के दामाद राव चिरंजीवी भी चुनाव हार गए हैं।
इस आधार पर सपा और अखिलेश यादव की महानता का गुणगान चल रहा है और दावा किया जा रहा है कि कांग्रेस ने उनकी अनदेखी की, उनका सम्मान नहीं किया, उनके साथ तालमेल नहीं किया इसलिए हार गई। दीपेंद्र हुड्डा के वीडियो को उनका अहंकार बता कर प्रचारित किया जा रहा है। ठीक इसी तरह मध्य प्रदेश के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के हारने के बाद कमलनाथ का एक वीडियो वायरल हुआ था, जिसमें वे मीडिया के लोगों स कह रहे थे कि, ‘छोड़िए अखिलेश वखिलेश की बात’। तब भी कहा गया है कि कमलनाथ ने सपा से तालमेल नहीं किया और अखिलेश यादव का अपमान किया इसलिए चुनाव नहीं जीत सकी। तब भी कमलनाथ के अहंकार को कांग्रेस की हार का कारण बताया गया था।