हरियाणा विधानसभा चुनाव के नतीजों के तुरंत बाद कांग्रेस ने इसे खारिज कर दिया और कहा कि वह इसे स्वीकार नहीं कर सकती है। इसके बाद कांग्रेस ने अगल अलग जिलों से शिकायतें इकट्ठा करनी शुरू की। पहले जयराम रमेश और पवन खेड़ा ने कहा कि शिकायतें जमा की जा रही हैं और उसके बाद पार्टी के सर्वोच्च नेता राहुल गांधी ने भी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा कि कांग्रेस को जगह जगह से शिकायतें मिल रही हैं, जिन्हें इकट्ठा किया जा रहा है। कांग्रेस ने औपचारिक रूप से ये शिकायतें चुनाव आयोग को देनी शुरू कर दी हैं। कांग्रेस का एक हाई प्रोफाइल डेलीगेशन चुनाव आयोग के पास गया था, जिसमें भूपेंद्र सिंह हुड्डा के साथ संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल और राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत भी थे। कांग्रेस आगे भी शिकायतें जमा करेगा।
यह अलग बात है कि उसकी शिकायतों का कोई समाधान चुनाव आयोग नहीं करने जा रहा है। चुनाव आयोग ने ईवीएम की बैटरी 99 फीसदी चार्ज होने के कांग्रेस के आरोप को पहले ही बेतुका बता दिया था और उसके बाद बिल्कुल कांग्रेस की प्रतिद्वंद्वी पार्टी की तरह चुनाव आयोग ने कहा कि कांग्रेस की हार जनता की इच्छा है। यानी जनता ने कांग्रेस को हराया है इसलिए उसे चुनाव प्रक्रिया पर सवाल उठाना बंद करना चाहिए। सोचें, जब आयोग इतना पूर्वाग्रह पहले से पाले हुए है तो उसके पास शिकायत से कुछ नहीं मिलना है। कांग्रेस अपना समय बरबाद कर रही है और अपना मजाक भी बनवा रही है।
कांग्रेस के जानकार सूत्रों का कहना है कि पार्टी हर जिले में जिला निर्वाचन अधिकारी के पास उम्मीदवारों से शिकायत कराने की तैयारी कर रही है। गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम फैसले में यह सुविधा दी है कि किसी भी चुनाव में दूसरे और तीसरे स्थान पर रहे उम्मीदवार नतीजों के एक हफ्ते के अंदर जिला निर्वाचन अधिकारी के पास शिकायत दर्ज करा सकते हैं। उम्मीदवारों की शिकायत पर इंजीनियरों की एक टीम ईवीएम की जांच करेगी। जांच का खर्च चुनौती देने वाले उम्मीदवार को चुकाना होगा। हालांकि इसमें भी ईवीएम की ही जांच होगी। लेकिन अगर इंजीनियर ईवीएम में किसी तरह की छेड़छाड़ को पकड़ते हैं तो आगे सारी वीवीपैट पर्चियों को गिनने का विकल्प भी आजमाया जा सकता है। हालांकि सर्वोच्च अदालत ने शत प्रतिशत वीवीपैट पर्चियों की गिनती की याचिका खारिज कर दी थी। लेकिन फैसले में यह ग्रे एरिया है कि अगर ईवीएम में गड़बड़ी पकड़ी जाती है तो उसके बाद क्या होगा? बहरहाल, कांग्रेस का दावा है कि तीन जिलों में सबसे ज्यादा शिकायत है तो कम से कम उन जिलों में ईवीएम की जांच का अनुरोध किया जा सकता है।