राज्य-शहर ई पेपर व्यूज़- विचार

इधर खट्टर और उधर हुड्डा मालिक

Image Source: ANI

हरियाणा में विधानसभा चुनावों के टिकट बंटवारे में भाजपा की ओर से पूर्व मुख्यमंत्री और केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल खट्टर मालिक थे तो कांग्रेस की ओर से पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा मालिक थे। भाजपा में ज्यादातर टिकटों का फैसला खट्टर ने कराया। वहां तो प्रदेश अध्यक्ष को पता नहीं था कि उनकी टिकट कट रही है और न मुख्यमंत्री को पता था कि उनकी सीट बदली जा रही है। इसी तरह कांग्रेस में पार्टी के तमाम बड़े नेताओं को टिकट का अंदाजा नहीं था। हुड्डा के समर्थक और विरोधी दोनों उनका मुंह देख रहे थे। कांग्रेस आलाकमान ने कई बार केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक की, फीडबैक लिया और सर्वे भी कराए लेकिन अंत में हुआ वहीं जो हुड्डा ने चाहा।

हरियाणा की 90 में से 89 सीटों पर कांग्रेस लड़ रही है, जबकि एक सीट सीपीएम के लिए छोड़ी गई है। सोचें, सीपीएम आखिरी बार 34 साल पहले हरियाणा में कोई विधानसभा सीट जीती थी। लेकिन भिवानी की एक सीट इसलिए उसको दी गई क्योंकि हुड्डा को उस सीट पर कुमारी शैलजा के किसी उम्मीदवार को टिकट नहीं मिलने देनी थी। बहरहाल, एक रिपोर्ट के मुताबिक 89 में से 72 सीटों पर हुड्डा की पसंद से टिकट दी गई है। असल में हुड्डा के समर्थक बहुत दिन से कांग्रेस आलाकमान को समझा रहे थे कि पिछली बार हुड्डा की पसंद से सिर्फ 50 टिकटें दी गई थीं इसलिए कांग्रेस 31 सीट जीत पाई। अगर 70 या उससे ज्यादा सीट दी गई होती तो कांग्रेस पिछली बार ही सरकार बना लेती। सो, इस बार कांग्रेस आलाकमान ने 72 सीटें उनकी पसंद से दे दी हैं। हुड्डा की पसंद का तो इतना ख्याल रखा गया है कि राहुल गांधी कलायत सीट पर श्वेता ढल को टिकट नहीं दिला सके। श्वेता ढल उनके साथ भारत जोड़ो यात्रा में चली थीं और राहुल उनको फायरब्रांड नेता बताते हैं। लेकिन टिकट मिली हुड्डा के करीबी हिसार के सांसद जयप्रकाश के बेटे विकास सहारण को। कहा जा रहा है कि प्रदेश के दूसरे नेताओं की पसंद से जो टिकटें दी गई हैं उसमें भी हुड्डा के हामी भरने के बाद ही फैसला हुआ।

Leave a comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *