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आप के सामने दलित वोट की चुनौती

दिल्ली में अगले साल जनवरी में विधानसभा के चुनाव होने वाले हैं और उससे पहले पार्टी के सामने अपना वोट एकजुट रखने की बड़ी चुनौती हो गई है। लोकसभा चुनाव में कांग्रेस से तालमेल के बावजूद उसका खाता नहीं खुला और हरियाणा में माहौल अच्छा होने के बावजूद उसके इकलौते उम्मीदवार चुनाव हार गए। पंजाब में सरकार होने के बावजूद पार्टी को सिर्फ तीन सीटें मिलीं। माना जा रहा है कि आम आदमी पार्टी के साथ खड़े दो सबसे मजबूत वोट आधार यानी मुस्लिम और दलित दोनों में नाराजगी है और दोनों विकल्प तलाश रहे हैं। अगर ये दोनों समूह उनका साथ छोड़ते हैं तो अगले साल के चुनाव में उनको बड़ी मुश्किल का सामना करना पड़ सकता है।

पिछले दिनों उनकी पार्टी के बड़े दलित नेता राजेंद्र पाल गौतम ने कांग्रेस का दामन थाम लिया है। कोई दो साल पहले उनको मंत्री पद से हटाया गया था। उसके बाद से वे नाराज चल रहे थे। कांग्रेस में शामिल होने से पहले उन्होंने आप से इस्तीफा दिया और अरविंद केजरीवाल के नाम चिट्ठी में पार्टी की नीतियों पर सवाल उठाए। उनसे पहले दूसरे दलित नेता और पूर्व मंत्री राजकुमार आनंद ने भी आप छोड़ी थी और बहुजन समाज पार्टी में शामिल हो गए थे। लेकिन वे अब भाजपा में शामिल हो गए हैं। दो बड़े दलित चेहरों के साथ छोड़ने के बाद आप के पास कुलदीप कुमार बचे हैं, जिनको पार्टी ने इस बार लोकसभा चुनाव में पूर्वी दिल्ली सीट से चुनाव लड़ाया था। वे हार गए थे। दूसरी नेता राखी बिडलान हैं, जो विधानसभा की उपाध्यक्ष हैं।

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