हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी भाजपा को चुनाव लड़ा रहे हैं। वे पार्टी का चेहरा हैं लेकिन पार्टी में उनकी क्या हैसियत है इसका पता इस बात से चलता है कि उनको खुद ही पता नहीं था कि वे कहां से चुनाव लड़ेंगे। टिकटों की घोषणा से पहले भाजपा के हरियाणा के प्रदेश अध्यक्ष मोहन लाल बडौली ने ऐलान कर दिया कि सैनी लाडवा सीट से चुनाव लड़ेंगे। इस पर सैनी बहुत नाराज हुए और कहा कि पार्टी की टिकट कोई भी राह चलते नहीं तय कर सकता है। उन्होंने कहा कि पार्टी की टिकटों का फैसला केंद्रीय चुनाव समिति में होगा। प्रदेश अध्यक्ष से नाराजगी दिखाते हुए सैनी ने ऐलान किया कि वे अपनी करनाल सीट से ही चुनाव लड़ेंगे, जहां से उपचुनाव जीत कर वे विधायक हुए हैं। यह भी खबर है कि वे लाडवा के साथ साथ करनाल भी लड़ सकते हैं। तभी इस सीट को लेकर सस्पेंस बना रहा और 29 अगस्त को हुई केंद्रीय चुनाव समिति के बाद भी सस्पेंस खत्म नहीं हुआ।
फिर चार सितंबर को भाजपा की सूची आई और पार्टी ने तय किया कि मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी लाडवा सीट से लड़ेंगे। य़ानी उनकी करनाल सीट खाली करा दी गई। दो सीटों से लड़ने की बात भी खत्म हो गई क्योंकि पार्टी ने करनाल से जगमोहन आनंद को टिकट दे दी है। सवाल है कि जब मुख्यमंत्री को अपनी ही सीट के बारे में पता नहीं था तो बाकी उम्मीदवारों की सीटों के बारे में उनको क्या जानकारी होगी? जाहिर है उनको टिकट बंटवारे की प्रक्रिया में बहुत महत्व नहीं मिला है। ऐसा लग रहा है कि मुख्यमंत्री से ज्यादा जानकारी प्रदेश अध्यक्ष को थी, तभी उन्होंने पहले ही बता दिया कि सैनी कहां से लड़ेंगे। बहरहाल, यह सैनी की चौथी सीट है। वे पहले नारायणगढ़ सीट से विधानसभा चुनाव लड़े और हार गए। फिर कुरुक्षेत्र से सांसद जीते। उसके बाद करनाल सीट से उपचुनाव में जीत कर विधायक बने और अब लाडवा सीट से उनको टिकट मिली है।