हरियाणा में भारतीय जनता पार्टी की जीत सबको हैरान करने वाली है। यहां तक कि राज्य के कार्यवाहक मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी के लिए भी यह आश्चर्यजनक घटना है क्योंकि सुबह साढ़े नौ बजे के करीब उन्होंने हार मान ली थी। मंगलवार, आठ अक्टूबर की सुबह जब कांग्रेस पार्टी 60 से ज्यादा सीटों पर आगे चल रही थी तब नायब सिंह सैनी ने एक बयान दिया था कि अगर भाजपा हारती है तो उसकी जिम्मेदारी उनकी होगी। उन्होंने जीत की संभावना खत्म मान ली थी और हार की जिम्मेदारी पार्टी के शीर्ष नेतृत्व यानी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह पर न फूटे इसलिए उन्होंने अपने को आगे कर दिया था। लेकिन 10 बजे के बाद स्थितियां बदलनी शुरू हुईं और 12 बजे तक स्पष्ट हो गया कि भाजपा 2014 से भी बड़े बहुमत के साथ सरकार बनाने जा रही है। भाजपा ने न सिर्फ सीट बढ़ाई है, बल्कि उसके वोट प्रतिशत में हैरतअंगेज तरीके से इजाफा हुआ है।
भारतीय जनता पार्टी ने खुद तो 89 सीटों पर चुनाव लड़ा था और एक सिरसा की सीट पर हरियाणा लोकहित कांग्रेस के गोपाल कांडा को समर्थन दिया था। लेकिन असल में हरियाणा सिर्फ 90 उम्मीदवारों का चुनाव नहीं लड़ रही थी, बल्कि 90 सीटों पर 120 उम्मीदवारों का चुनाव लड़ रही थी। बताया जा रहा है कि करीब 30 सीटों पर मजबूत निर्दलीय और दूसरी छोटी पार्टियों के उम्मीदवारों को भी भाजपा का समर्थन हासिल था। जानकार सूत्रों के मुताबिक भाजपा ने माइक्रो प्रबंधन की अपनी नीति के तहत कहीं मजबूत निर्दलीय उम्मीदवारों की मदद की तो कहीं इनेलो और बसपा के उम्मीदवारों की मदद की। कई जगह जननायक जनता पार्टी और आजाद समाज पार्टी के उम्मीदवारों को भी मदद पहुंचाने की चर्चा है।
भाजपा को इस माइक्रो प्रबंधन का फायदा अनेक सीटों पर मिला है। मिसाल के तौर पर महेंद्रगढ़ की नजदीकी मुकाबले वाली सीट को देखा जा सकता है, जहां एक निर्दलीय उम्मीदवार को 18 हजार वोट आए। वहां इंडियन नेशनल लोकदल को भी साढ़े तीन हजार वोट आए तो आम आदमी पार्टी और एक अन्य निर्दलीय ने मिल कर तीन हजार वोट काटे, जबकि हार जीत का अंतर पांच हजार से कम वोट का रहा। इसी तरह भिवानी में आम आदमी पार्टी तीसरे स्थान पर रही, जिसकी उम्मीदवार को 14 हजार वोट मिले लेकिन उसके बाद चौथे, पांचवें और छठे स्थान पर निर्दलीय रहे, जिनको 15 हजार वोट मिले। बल्लभगढ़ सीट पर तो दूसरे और तीसरे स्थान पर निर्दलीय ही रहे।
असंद सीट पर बसपा को 10 हजार और चौथे स्थान पर रहे निर्दलीय को आठ हजार वोट मिले, जबकि कांग्रेस तीन हजार वोट से हारी। गोहाना में दो निर्दलियों ने 13 हजार वोट काटे और कांग्रेस इतने ही वोट से हारी। इस तरह की सीटों की संख्या एक दर्जन से ज्यादा है, जहां निर्दलीय उम्मीदवारों ने कांग्रेस की गणित बिगाड़ी है। राज्य का चुनाव भाजपा और कांग्रेस के बीच आमने सामने का चुनाव था और ऐसा लग रहा था कि दोध्रुवीय चुनाव ही होगा। इसके बावजूद निर्दलीय उम्मीदवारों को 11 फीसदी वोट मिले हैं। राज्य की स्थापित पार्टियों, इंडियन नेशनल लोकदल, जननायक जनता पार्टी, बसपा, आजाद समाज पार्टी और आम आदमी पार्टी को मिला कर जीतने वोट मिले हैं उससे दोगुने वोट निर्दलीय उम्मीदवारों को मिले हैं। यह भाजपा के माइक्रो प्रबंधन का कमाल है।