राज्य-शहर ई पेपर व्यूज़- विचार

क्या हरियाणा में विरोधी वोट बंटेगा?

Image Source: UNI

हरियाणा की सभी 90 विधानसभा सीटों के लिए नामांकन की प्रक्रिया पूरी होने के बाद स्पष्ट रूप से पांचकोणीय चुनाव का मैदान सज गया है। यह सही है कि असली मुकाबला सीधे तौर पर भाजपा और कांग्रेस के बीच है लेकिन तीन अन्य पार्टियों या गठबंधनों के चुनाव लड़ने से लड़ाई रोचक हो गई है। भाजपा और कांग्रेस के अलावा आम आदमी पार्टी भी सभी सीटों पर चुनाव लड़ रही है।

इसके अलावा इंडियन नेशनल लोकदल और बहुजन समाज पार्टी का गठबंधन है और जननायक जनता पार्टी व आजाद समाज पार्टी का गठबंधन है। इस तरह तीन पार्टियां अकेले लड़ रही हैं और दो गठबंधन चुनाव मैदान हैं, जिनमें चार पार्टियां हैं। इनके अलावा भी छोटी पार्टियां और निर्दलीय उम्मीदवार भी मैदान में हैं।

तभी सवाल है कि इतने लोगों के चुनाव लड़ने का फायदा किसको होगा और किसको नुकसान होगा? क्या ज्यादा पार्टियों और गठबंधनों के चुनाव लड़ने से सत्ता विरोधी वोट का बंटवारा होगा, जिसका फायदा भाजपा को हो जाएगा? क्या दो जाट और दो दलित पार्टियों के गठबंधन का नुकसान कांग्रेस को होगा, जिसने दलित और जाट का समीकरण बनाया है? और क्या अरविंद केजरीवाल की पार्टी को वैश्य मत मिलेंगे, जिससे भाजपा को नुकसान होगा?

इन सवालों के जवाब आसान नहीं हैं लेकिन मोटे तौर पर ऐसा लग रहा है कि इनेलो और जजपा अपने पारंपरिक असर वाले इलाकों में थोड़े बहुत वोट हासिल कर पाएंगे। जजपा चूंकि भाजपा के साथ साढ़े चार साल सरकार में रही तो सत्ता विरोधी वोट उसके मिलने का सवाल ही नहीं है और इनेलो के पास अब ने नेता हैं और संगठन। सिर्फ परिवार के लोगों वाली सीटों डबवाली, रानियां, एलनाबाद आदि में कुछ हो तो हो। आम आदमी पार्टी पहले भी हरियाणा में किस्मत आजमा चुकी है और उसके हाथ कुछ नहीं लगा है। इसलिए बहुत नजदीकी मुकाबले वाली कुछ सीटों को छोड़ दें तो इनेलो, बसपा, जजपा, आजाद समाज पार्टी और आप का कोई ज्यादा असर नहीं होने वाला है।

Leave a comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *