लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने हिंदू मुस्लिम का बहुत नैरेटिव बनाया। हर जगह हिंदुओं को यह भय दिखाया गया कि कांग्रेस आ गई तो सब कुछ मुसलमानों को दे देगी। ओबीसी आरक्षण छीन कर मुसलमानों को देने की बात तो कही ही गई साथ ही यह भी कहा गया कि महिलाओं का मंगलसूत्र और लोगों के गाय, भैंस छीन कर कांग्रेस मुसलमानों को दे देगी। लेकिन यह नैरेटिव काम नहीं आया। प्रधानमंत्री मोदी ने राजस्थान के बांसवाड़ा से इसकी शुरुआत की थी और वहां वह 11 सीटें हार गई। उत्तर प्रदेश में इसका प्रचार किया गया और ध्रुवीकरण का प्रयास किया गया तो वहां भाजपा 62 सीट से घट कर 33 सीट पर आ गई और समाजवादी पार्टी 37 सीट के साथ सबसे बड़ी पार्टी बन गई।
तभी यह नहीं समझ में आने वाली बात है कि भाजपा क्यों फिर हिंदू मुस्लिम का ही नैरेटिव राज्यों के चुनाव में बना रही है? केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह मंगलवार को हरियाणा गए तो उन्होंने वही राग सुनाया, जो लोकसभा चुनाव में पूरे प्रचार के दौरान सुनाते रहे थे। उन्होंने कहा कि कांग्रेस आ गई तो वह पिछड़ी जातियों का आरक्षण छीन कर मुसलमानों को दे देगी। उन्होंने कर्नाटक का हवाला दिया तो कांग्रेस ने कहा कि आंध्र प्रदेश की बात कीजिए, जहां भाजपा और उसकी सहयोगी टीडीपी की सरकार है। टीडीपी ने खुल कर मुसलमानों के आरक्षण का समर्थन किया है। बहरहाल, हरियाणा में भाजपा पिछड़ी जातियों, ब्राह्मण और पंजाबी का जातीय समीकरण बना रही है। उसने जाट और दलित को छोड़ा हुआ है लेकिन साथ ही यह भी चाहती है कि हिंदू ध्रुवीकरण हो जाए। ध्यान रही इसी नैरेटिव पर पार्टी राज्य में लोकसभा चुनाव हारी। उसने 10 में से आधी सीटें गंवा दी।