अमेरिका की अदालत में घूसखोरी और फ्रॉड के आरोपी बनाए जाने के बाद गौतम अडानी की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। अमेरिकी अदालत ने समन जारी करके 21 दिन में जवाब देने को कहा है। जिस दिन अमेरिकी अदालत ने उनको आरोपी बनाया उसके अगले ही दिन केन्या ने अपने सारे सौदे रद्द कर दिए। कोई 21 हजार करोड़ रुपए का ठेका था, जिसे केन्या की सरकार ने रद्द कर दिया। अब खबर है कि श्रीलंका और बांग्लादेश में भी समस्या बढ़ने वाली है। श्रीलंका में उनके बिजली प्रोजेक्ट को लेकर समीक्षा हुई है और कहा जा रहा है कि कैबिनेट को उसके बारे में फैसला करने के लिए अधिकृत किया गया है। ध्यान रहे श्रीलंका में कम्युनिस्ट विचार के अनुरा दिसानायके की सरकार है।
बांग्लादेश की सरकार ने अडानी समूह से बिजली खरीद के सौदे की समीक्षा करने के लिए एक कमेटी बनाई है। इस कमेटी की सिफारिशों पर सरकार आगे फैसला करेगी। उधर फ्रांस की बड़ी पावर कंपनी टोटल एनर्जीज ने भी नया स्टैंड लिया है। उसने अडानी समूह में अपना निवेश रोकने का फैसला किया है। कंपनी ने कहा है कि जब तक घूसखोरी और फ्रॉड के मामले का निपटारा नहीं होता है तब तक वह निवेश नहीं करेगी। अडानी समूह में निवेश करने वाली विदेशी कंपनियां एक एक करके पैर पीछे खींच रही हैं। उन्होंने शेयर बाजार में निवेश निकालना शुरू कर दिया है और एक अंतरराष्ट्रीय एजेंसी की रिपोर्ट है कि अडानी समूह को अब विदेश निवेश मिलना लगभग नामुमकिन हो गया है।