ऐसा लग रहा है कि तीन साल के इंतजार के बाद भारत सरकार ने अफगानिस्तान के तालिबान शासन के साथ औपचारिक कूटनीति शुरू कर दी है। हालांकि भी यह बहुत सीमित है और इसकी शुरुआत ही हुई है लेकिन हो सकता है कि आने वाले दिनों में इसमें बढ़ोतरी हो। असल में अमेरिका के अफगानिस्तान से निकलने के बाद तालिबान ने हामिद करजई का तख्तापलट करके सत्ता अपने हाथ में ले ली थी। उसके बाद भारत ने सारे संबंध तोड़ लिए थे। भारत की ओर से चलाए जा रहे करीब 20 हजार करोड़ रुपए के प्रोजेक्ट भी अटक गए थे। उसके बाद भारत ने मानवीय मदद तो की लेकिन उससे कूटनीतिक संबंध बहाल नहीं किया।
अभी पिछले दिनों भारतीय विदेश सेवा के अधिकारी जेपी सिंह ने अफगानिस्तान के रक्षा मंत्री मुल्ला मोहम्मद याकूब से मुलाकात की थी। हालांकि भारत ने अभी तक तालिबान शासन को मान्यता नहीं दी है लेकिन जेपी सिंह की मुलाकात के बाद चीजें तेजी से बदल रही हैं। इस मुलाकात के एक हफ्ते के भीतर अफगानिस्तान के तालिबान शासन ने मुंबई में वाणिज्य दूतावास शुरू कर दिया है। खबर है कि उसने इकरामुद्दीन कामिल नाम के एक व्यक्ति को मुंबई में अपना वाणिज्य दूत नियुक्त किया है। माना जा रहा है कि भारत सरकार अब धीरे धीरे कूटनीतिक संबंधों की बहाली की ओर बढ़ रही है। इसके आगे तालिबान सरकार को मान्यता भी दी जा सकती है।