कांग्रेस, आम आदमी पार्टी या किसी दूसरी विपक्षी पार्टी का कोई नेता भ्रष्टाचार का मुद्दा उठा कर सड़क पर नहीं उतरा है। कांग्रेस के अलावा दूसरी विपक्षी पार्टियां तो खैर चुनावी बॉन्ड के मामले में चुप्पी साधे हुए हैं क्योंकि जिन तमाम कंपनियों पर सरकार के साथ मिलीभगत के आरोप लगे हैं उन सबने विपक्ष की प्रादेशिक पार्टियों को खुल कर चंदा दिया है। कंपनियों ने कांग्रेस को भी चंदा दिया है लेकिन उसकी हैसियत के हिसाब से उसे भाजपा से कम चंदा तो मिला ही है उसे कई प्रादेशिक पार्टियों के अनुपात में भी कम चंदा मिला है।]
तभी वह चुनावी बॉन्ड का मुद्दा उठा रही है। कांग्रेस के अलावा आम आदमी पार्टी ने चुनावी बॉन्ड का मुद्दा उठाया है और कहा है कि शराब नीति में हुए कथित घोटाले के आरोपी शरद रेड्डी ने भाजपा को चंदा दिया है। गिरफ्तारी के बाद उनकी कंपनी ने सिर्फ भाजपा को चंदा दिया।
लेकिन हैरानी की बात है कि आंदोलन से निकली आम आदमी पार्टी ने इस मामले में एक प्रेस कांफ्रेंस से ज्यादा कुछ नहीं किया। कहां तो केजरीवाल और उनकी टीम ने इंडिया अगेंस्ट करप्शन बना कर पूरे देश को 2जी, कोयला और दूसरे अन्य कथित घोटालों के खिलाफ खड़ा कर दिया था। लेकिन अब पार्टी सिर्फ प्रेस कांफ्रेंस कर रही है।
इसी तरह कांग्रेस ने भी कोई विरोध प्रदर्शन नहीं किया। उसके संचार विभाग के प्रमुख जयराम रमेश जरूर रोज सोशल मीडिया पर लंबे लंबे पोस्ट लिख रहे हैं। वे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर खूब लिख रहे हैं और चुनावी बॉन्ड की पोल खोल रहे हैं। लेकिन कायदे से इसकी लड़ाई के लिए सड़क पर उतरने की जरुरत थी। चुनाव में कांग्रेस अगर इसका माहौल बनाना चाहती है तो वह माहौल सोशल मीडिया से नहीं बनेगा।