ऐसा लग रहा है कि केंद्र सरकार और उसके साथ साथ कुछ कथित स्वायत्त संस्थाओं को भी असहमति पसंद नहीं आ रही है और वे इसे रोकने के लिए नए नए उपाय आजमा रहे हैं। ताजा खबर है कि साउथ एशियन यूनिवर्सिटी ने अपने यहां दाखिले ले रहे नए छात्रों से एक अंडरटेकिंग देने को कहा है, जिसमें उनको यह घोषणा करनी है कि वे किसी प्रदर्शन का हिस्सा नहीं होंगे। यानी उन्हें शपथ लेनी है कि वे इस अंतरराष्ट्रीय यूनिवर्सिटी में पढ़ते हुए कोई विरोध प्रदर्शन नहीं करेंगे और किसी भी मामले में असहमति प्रकट नहीं करेंगे। उनसे यह भी अंडरटेकिंग देने को कहा गया है कि वे शपथ लेकर बताएं कि उन्हें कोई मानसिक समस्या नहीं है। सोचें, एक तरफ सारी दुनिया मेंटल हेल्थ को लेकर चर्चा कर रही है तो दूसरी ओर यह अंतरराष्ट्रीय शिक्षण संस्थान इस तरह की अंडरटेकिंग देने को कह रहा है।
इससे पहले खबर आई थी कि संसद की एक समिति ने सिफारिश की है कि आगे से भारत सरकार कोई भी पुरस्कार या सम्मान किसी को देगी तो उससे अंडरटेकिंग लेगी कि भविष्य में वह इस सम्मान को लौटाएगा नहीं। असल में कुछ समय पहले केंद्र सरकार की नीतियों और कई घटनाओं के विरोध में अवार्ड वापसी हुई थी। भाजपा नेताओं और उसकी आईटी सेल ने पहले ही सम्मान लौटाने वालों को अवार्ड वापसी गैंग बता कर उनको खासा बदनाम किया है। लेकिन अब सरकार चाहती है कि पुरस्कार लेने से पहले ही वे शपथ लें कि वे इसे लौटाएंगे नहीं। अगर इस तरह का कोई कानून बन गया तो यह तय मानें कि कोई भी सच्चा और संवेदनशील लेखक, कलाकार, खिलाड़ी, सामाजिक कार्यकर्ता, राजनेता कोई सम्मान नहीं लेगा क्योंकि ऐसी कोई भी अंडरटेकिंग देना स्वतंत्र व लोकतांत्रिक व्यक्ति की गरिमा को कम करने वाला होगा। हो सकता है कि सरकार ऐसा चाह ही रही हो ताकि सारे पुरस्कार और सम्मान सत्ता की चाकरी करने वालों को दिया जा सके।